जुबिली न्यूज डेस्क
चीन ने वीजा देने की शर्त चीनी कोरोना वैक्सीन को बनाया है। भारत समेत 20 देशों के नागरिकों को वीजा देने के लिए चीन ने कोरोना की चीनी वैक्सीन लेना अनिवार्य बना दिया है।
चूंकि भारत में चीनी वैक्सीन नहीं उपलब्ध है तो अब भारतीय नागरिक चीन नहीं जा पाएंगे।
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन ने जिन देशों के लिए चीनी वैक्सीन अनिवार्य किया है उनमें भारत के अलावा पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, नाइजीरिया, ग्रीस, इटली, इस्राएल, नॉर्वे और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।
हालांकि कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में यह भी दावा किया जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका भी शामिल है। दिल्ली स्थित चीन के दूतावास के बाहर इस बारे में एक नोटिस भी चस्पा कर दिया है। नोटिस में स्पष्ट लिखा है कि दूतावास चीन जाने के इच्छुक उन्हीं लोगों की वीजा लेने में सहायता करेगा जिन लोगों ने कोरोना वायरस के खिलाफ चीन में बनी कोई वैक्सीन ली हो और टीकाकरण का प्रमाणपत्र हासिल किया हो।
वहीं बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शाओ लिहियान ने कहा का कि कई देशों ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए टीका अनिवार्य कर देना चाहिए।
Big: Chinese embassy in Delhi says taking Chinese made covid vaccine required to get Chinese visa pic.twitter.com/hTeBAdmdOO
— Sidhant Sibal (@sidhant) March 16, 2021
लिहियान ने कहा कि चीन ने यह प्रस्ताव चीनी टीकों की सुरक्षात्मकता और गुणकारिता का पूरी तरह से मूल्यांकन करने के बाद ही दिया है। उन्होंने कहा कि इस कदम का चीनी टीकों की स्वीकार्यता बनाने से कोई संबंध नहीं है।
चीन अभी तक देश के भीतर इस्तेमाल के लिए पांच वैक्सीनों को हरी झंडी दिखा चुका है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन से अभी तक इनमें से किसी को भी स्वीकार्यता नहीं मिली है।
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हालांकि चीन का दावा है कि 60 से भी अधिक देश चीनी टीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत ने भी चीन में बने किसी भी टीके को स्वीकार नहीं किया है।
भारत में अभी तक सिर्फ दो टीके उपलब्ध हैं -ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और ऐस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, जिसे सीरम इंस्टिट्यूट कोविशील्ड के नाम से बना रहा है और भारत में ही विकसित हुई आईसीएमआर और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन।
फिलहाल चीन के इस कदम की वजह से प्रभावकारी रूप से अब कोई भी भारतीय नागरिक चीन नहीं जा पाएगा। संभव है कि यह स्थिति दोनों देश के बीच एक नए विवाद का रूप ले ले, लेकिन भारत सरकार ने अभी तक चीन के इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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