जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान कर दिया है। राज्य में मतदान दो चरणों में होगा, पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।
आयोग के इस ऐलान के साथ ही राज्य की सियासी हलचल तेज हो गई है, लेकिन इसके साथ ही बिहार से बाहर नौकरी करने वाले लाखों प्रवासियों के सामने एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है। वजह यह है कि चुनावी तारीखें छठ महापर्व के लगभग आठ दिन बाद तय की गई हैं। ऐसे में जो लोग त्योहार मनाने के लिए बिहार लौटने की योजना बना चुके थे, उनके लिए मतदान में शामिल होना अब चुनौती बन गया है।
छठ के बाद क्यों मुश्किल हुआ मतदान?
इस साल छठ पर्व 25 से 28 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा। हर साल इस मौके पर लाखों बिहारवासी देश-विदेश से अपने गांव-घर लौटते हैं। आमतौर पर उम्मीद की जाती थी कि चुनाव आयोग मतदान की तारीखें छठ के तुरंत बाद रखेगा, ताकि अधिक से अधिक लोग वोट डाल सकें। मगर अब त्योहार और चुनाव के बीच आठ से दस दिनों का अंतर है।
रेल और हवाई टिकटों की भारी मांग के बीच लंबे समय तक बिहार में ठहरना प्रवासी मतदाताओं के लिए कठिन हो सकता है। अधिकांश लोग छठ समाप्त होते ही अपने कार्यस्थल लौटने की तैयारी करते हैं।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?
छठ और मतदान की तारीखों के बीच अंतर को लेकर उठे सवालों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, “हमें जानकारी है कि छठ महापर्व 28 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। राजनीतिक दलों ने इसे त्योहार के बाद कराने की मांग की थी, लेकिन तकनीकी और व्यवस्थागत कारणों से चुनाव इससे पहले कराना संभव नहीं था।”
राजनीतिक दलों की आपत्ति
राजनीतिक दलों का कहना है कि यदि मतदान छठ के तुरंत बाद आयोजित किया जाता, तो प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी अधिक होती। चुनाव आयोग से हुई पिछली बैठक में कई दलों ने यह मुद्दा उठाया था कि छठ के आसपास मतदान की तारीखें तय की जाएं, ताकि अधिक से अधिक लोग अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।
अब जब मतदान 6 और 11 नवंबर को होना तय है, तो बिहार के बाहर नौकरी कर रहे लाखों लोगों के सामने दुविधा है क्या वे अपने घर लौटकर वोट डाल पाएंगे या नहीं।
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