Monday - 8 January 2024 - 8:36 PM

केदारनाथ के कपाट खुले, मंदिर के बाहर लगी भक्तों की लम्बी कतार

न्यूज डेस्क

उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर के कपाट आज ब्रह्मवेला में सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर खोल दिए गए। कपाट को पंडितों ने पूरे विधि विधान के साथ मंत्रोच्चारण के बाद खोला। इस दौरान ऊखीमठ से लाई गई भगवान केदार की गद्दी को दोबारा मुख्य मंदिर में स्थापित किया गया। बता दें कि भक्त हर बार की तरह अगले छह महीने तक भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सकेंगे।

इस मौके पर पूरे मंदिर परिसर को फूलों और रोशनी से सजाया गया। इस दौरान केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग और पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक सहित बीकेटीसी के सदस्य भी मौजूद रहे। इस बाबत श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा कपाटोद्घाटन की सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं।

उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये खोल दिये गए और इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा आरंभ हो गई। इसके अलावा बद्रीनाथ के कपाट दस मई को खोले जाएंगे।

साथ ही मां यमुना को समर्पित यमुनोत्री धाम के कपाट भी दोपहर बाद श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये गये। केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी यमुनोत्री के निकट बर्नीगाड़ पहुंची जहां उन्होंने यमुना में स्नान किया। इससे पहले, यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से मां यमुना की भव्य रूप से सजायी गयी डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। रवाना होने से पूर्व स्थानीय लोगों ने पारंपरिक लोक नृत्य किया।

हर साल अप्रैल—मई में शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के शुरू होने का स्थानीय जनता को भी इंतजार रहता है। छह माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान देश—विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक यहां कि जनता के रोजगार और आजीविका का साधन हैं और इसीलिए चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है ।

बता दें कि भीषण ठंड और बर्फ़बारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के सर्दियों में हर साल कपाट अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल दोबारा अप्रैल—मई में फिर खोल दिये जाते हैं।

ऐसे पहुंचे बाबा के दर्शन को

केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार देश के सभी बड़े और प्रमुख शहरो से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। हरिद्वार तक आप ट्रेन से आ सकते है। यहाँ से आगे जाने के लिए आप चाहे तो टैक्सी बुक कर सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं। हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमाटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमाटर आप सड़क मार्ग से किसी भी प्रकार की गाड़ी से जा सकते है। इससे आगे का 16 किलोमाटर का रास्ता आपको पैदल ही चलना होगा आप पालकी या घोडा से जा सकते हैं।

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