Wednesday - 4 June 2025 - 8:43 AM

जुबिली डिबेट

लोकतंत्र को कठपुतली बनाने पर तुला भीडतंत्र

डा. रवीन्द्र अरजरिया स्वाधीनता के बाद देश को सुव्यवस्था देने की गरज से राजशाही के स्थान पर लोकशाही की स्थापना की गई। तात्कालिक परिस्थितियों में संविधान की रचना हुई। यह अलग बात है कि संविधान की रचना के दौरान किन लोगों को हाशिये पर रखने का षडयंत्र हुआ और कौन …

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डंके की चोट पर : क्या खालिस्तान के सपने को फिर मिल रहा है खाद-पानी

शबाहत हुसैन विजेता खालिस्तान का सपना तो 1984 में ही मर गया था. इस सपने ने कितना खून बहाया उसका हिसाब जोड़ पाना भी बहुत मुश्किल बात है. यह सपना तोड़ने के लिए हमें प्रधानमंत्री की कुर्बानी देनी पड़ी थी. यह सपना टूटने के बाद पंजाब में फिर से खुशहाली …

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क्या किसान आंदोलन दे पायेगा जयंत चौधरी को राजनीतिक दिशा ?

प्रीति सिंह 28 जनवरी को किसान नेता राकेश टिकैत की भावनात्मक अपील के बाद जिस तरह से किसान आंदोलन को संजीवनी मिली ठीक उसी तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आए दिन हो रहे किसानों के महापंचायतों ने इन इलाकों में राजनीतिक जमीन खो चुकी आरएलडी को संजीवनी दी है। किसान …

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म्यांमार में ‘सू की’ की अपार लोकप्रियता से घबराई सेना

कृष्णमोहन झा भारत के एक पड़ोसी देश म्यांमार में  लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार का तख्ता पलट कर खुद ही सत्ता पर कब्जा जमा लेने की सेना की कार्रवाई का देश की जनता उग्र विरोध कर रही है। लोग सड़कों पर उतर कर अपना विरोध व्यक्त कर रहे हैं। …

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डंके की चोट पर : वो कैप्टन भी समझता था कि उसका कोई सब्स्टीटयूट नहीं

शबाहत हुसैन विजेता बंगाल में जहाज़ डूब रहा है. डूबते जहाज़ को छोड़कर चूहे तेज़ी से भाग रहे हैं. जिन ताकतों के भरोसे यह डूबता जहाज़ अपने शानदार सफ़र के ख़्वाब देखा करता था वह जहाज़ की हिफाजत का काम छोड़कर इन चूहों को आसरा देने में जुट गई हैं. …

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गांधीजी की हत्या के मामले में सरदार पटेल का लौह पुरूष का मुलम्मा कैसे उतरा

के पी सिंह गांधी जी की हत्या को अब 70 साल से अधिक का समय हो चुका है। इस बीच देश की राजधानी दिल्ली में यमुना नदी में न जाने कितना पानी बह चुका है। गांधी जी की हत्या से जुडे कई पहलू है जिन पर बार बार चर्चा और …

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पानी में हवा का बुलबुला

डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में नित नये नियमों की बौछार हो रही है। कानून पर कानून बनाये जा रहे हैं। कहीं यातायात नियमों में आशातीत परिवर्तन तो कहीं टैक्सों में बेताहाशा वृध्दि। दलगत राजनीति की मजबूती हेतु सत्ताधारी दलों द्वारा खजाने को लुटाने की होड़ लगी हुआ है। चंद स्थानों …

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संसद सत्र में छाया रहेगा किसान आंदोलन का मुद्दा

कृष्णमोहन झा नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े किसानों का आंदोलन तीसरे माह में प्रवेश कर चुका है। इस बीच किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बीच वार्ता के 11दौर भी संपन्न हो चुके हैं और हर दौर की …

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घायल किसान, हलकान जवान

हिंसा से किसान आंदोलन दमदार हुआ या बदनाम !  नवेद शिकोह गांधीवादी दायरे में बंधा आंदोलन भी अहिंसक नहीं हो पाता। इतिहास गवाह है, देश की आजादी की लड़ाई में अहिंसा के पुजारी महत्मा गांधी के आंदोलन के प्रदर्शन भी हिंसा की लपेट में आ गए थे।और गांधी जी पर …

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तो क्या असम में भाजपा के लिए गले की हड्डी बन गई है सीएए-एनआरसी?

प्रीति सिंह असम में इस साल मार्च-अप्रैल महीने में विधानसभा चुनाव होना है। सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं। जनसभा-रैलियों का दौर शुरु हो गया है। असम की सत्ता बचाए रखना भाजपा के लिए चुनौती है। भाजपा इसके लिए जी तोड़ मेहनत भी कर रही है। …

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