Wednesday - 19 November 2025 - 3:37 PM

जुबिली डिबेट

बौद्ध दीक्षा से क्यों कतराता है आज का अंबेडकरवाद

के.पी. सिंह बाबा साहब अंबेडकर की विरासत का दावा करने वाले गणमान्यों के बारे में भी जब यह रहस्योदघाटन हुआ कि उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण नही किया है तो लोग आश्चर्यचकित रह गये। यह अधूरा अंबेडकरवाद है। जिसे लेकर सहज ही छल की आशंका होती है। दीक्षा के सियासी परिणामों …

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EVM: मीठा मीठा गप..कड़वा कड़वा थू…आख़िर कब तक.!

कृष्णमोहन झा हमारे देश में अनेक राजनीतिक दल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से सम्पन्न होने वाली मतदान की प्रक्रियां पर जब-तब  सवाल खड़े करते रहे है। ईवीएम के जरिए किए जाने वाले मतदान की विश्वनीयता को सुनिश्चित करने के लिए ही चुनाव आयोग ने यह व्यवस्था दी थी कि …

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भाजपा को उत्तरप्रदेश में मिल रही है दोहरी चुनौती

कृष्णमोहन झा वर्तमान लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को दो मोर्चों पर विपक्ष की चुनौती मिल रही है। एक और उसे समजवादी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी एवं राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन का मुकाबला करना है तो दूसरी और कांग्रेस उसे कड़ी टक्कर देने की कोशिश में लगी …

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हिन्दू राष्ट्रवाद बनाम बांग्ला राष्ट्रवाद की लड़ाई में फंसा बंगाल 

उत्कर्ष सिन्हा  कभी बंगाल कम्युनिष्टो के लाल झंडे से भरा रहता था  लेकिन फिलहाल चल रहे लोकसभा चुनावो में बंगाल की जमीन हिंसा से लाल हो रही है। कोलकाता में मंगलवार को अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा के बीच ईश्वरचंद विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने पर लोगों …

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दुनिया को कौन सा पाठ पढ़ाने के लिए है विश्व गुरू बनने की हसरत

के पी सिंह गुजरात में एक सप्ताह से भी कम समय में दलित दूल्हों की बारात रोकने के लिए उन पर हमले की चार घटनाएं सामने आ चुकी हैं। गुजरात वह राज्य है जिसे विकास के सबसे सुनहरे मॉडल के रूप में पेश किये जाने की वजह से नरेन्द्र मोदी …

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रमजान सब्र का महीना है और सब्र का फल जन्नत है

प्रदीप कुमार सिंह रमजान का महीना रहमतों, बरकतों, नेकियों और नियामतों का है। इस दौरान बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिश अल्लाह पूरी करता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नवां महीना रमजान का होता है। इसमें सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीना रोजा रखते हैं। इस साल रमजान …

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पाकिस्तान क्यों बन रहा है शिया शिकारगाह ?

फैज़ान मुसन्ना ‘ मदारपुरी ‘ पाकिस्तान के बलूचिस्तान के क्वेटा में 12 अप्रेल को प्रमुख शिया कबीले हज़ारा बहुल इलाक़े में हुए बम धमाके में इस बिरादरी के 16 लोगो के मरे जाने की खबर आयी है। पाकिस्तान से ऐसी खबरों का आना कोई नयी या अनोखी बात नहीं है …

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अब तक 56…

  शबाहत हुसैन विजेता 56 भोग, 56 इंच की छाती, अब तक 56 और अब 56 गालियाँ। यह वक्त के बदलाव का ग्राफ है। इस ग्राफ को ध्यान से देखें तो आज़ाद हिन्दुस्तान में बदलते दौर की तस्वीर बहुत साफ़ दिखाई देती है। इस तस्वीर में गुज़रे हुए ज़माने के …

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राष्ट्रहित की कीमत पर अस्वीकार होना चाहिये अल्पसंख्यक संरक्षण

डा. रवीन्द्र अरजरिया विकृतियों का बाहुल्य होते ही बीमारियां पैदा होने लगतीं हैं। समय रहते इनका उपचार करना नितांत आवश्यक होता है अन्यथा यही साधारण सी बीमारी समय के साथ असाध्य रूप लेने लगती है। इन विकृतियों का प्रादुर्भाव आखिर होता कहां से है, क्यों होता है और कहां तक …

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उन्माद की राजनीति का भविष्य

के पी सिंह लोकतंत्र में लोक यानी आम आदमी के हितों की पूरी सुरक्षा की जाती है, यह धारणा तो यूटोपिया की तरह है लेकिन यह एक प्रबंधन है जिससे किसी राष्ट्र राज्य की स्थिरता सुनिश्चित हो जाती है। शासन के खिलाफ भड़ास निकालने के अवसर की व्यवस्था लोकतंत्र का …

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