जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में भर और राजभर जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जा सकता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को इस सम्बन्ध में दो माह के भीतर फैसला करने का आदेश दिया है.
जागो राजभर जागो समिति ने भर और राजभर को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस दिनेश पाठक ने समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया कि केन्द्र सरकार के 11 अक्टूबर 2021 के प्रस्ताव के क्रम में निर्णय लें.

उत्तर प्रदेश के मऊ, गाजीपुर, आज़मगढ़, मिर्ज़ापुर, बलिया, चंदौली, सोनभद्र, देवरिया, गोरखपुर और जौनपुर में बड़ी संख्या में भर व राजभर रहते हैं. इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है. आरोप है कि राजनीतिक कारणों से इन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिलो करने के बजाय पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया है. 1994 में आरक्षण नियमावली में भी इन जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया गया. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार को दो महीने में इस सम्बन्ध में फैसला करना है.
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