जुबिली स्पेशल डेस्क
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के स्कूलों और कॉलेजों में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि या मेले के आयोजन पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षा संस्थान केवल शैक्षणिक और सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों के लिए होते हैं, इसलिए उनकी भूमि या भवनों का उपयोग किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने हमीरपुर के गिरजा शंकर द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश सुनाया। याचिका में हमीरपुर के एक कॉलेज में आयोजित व्यावसायिक मेले को चुनौती दी गई थी।
शैक्षणिक संस्थानों में अब सिर्फ शिक्षा और खेल गतिविधियां
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शैक्षणिक संस्थान केवल शिक्षा, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं जैसे आयोजनों के लिए हैं। प्लेग्राउंड और अन्य सुविधाओं की अहमियत को किसी भी व्यावसायिक कार्यक्रम से कम नहीं आंका जा सकता।
सरकार को एक महीने में सर्कुलर जारी करने का निर्देश
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक स्पष्ट सर्कुलर जारी करे, जिसमें यह कहा जाए कि स्कूल-कॉलेजों में किसी भी नाम से कमर्शियल एक्टिविटी नहीं होगी।
सर्कुलर जारी होने के बाद जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और सभी स्तर के शैक्षणिक संस्थानों को इस आदेश का पालन एक महीने के भीतर सुनिश्चित करना होगा।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने कहा “ऐसा कोई कानून नहीं है जो प्राथमिक, माध्यमिक या उच्च शिक्षा संस्थानों की संपत्ति के व्यावसायिक उपयोग की अनुमति देता हो। शिक्षा संस्थानों का उद्देश्य ज्ञान, खेल और संस्कृति को बढ़ावा देना है, न कि व्यापार करना।”