जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन को लगातार झटके लग रहे हैं। ताजा मामला कैमूर जिले की मोहनिया विधानसभा सीट से है, जहां राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया है। अब तक कुल चार उम्मीदवारों का नामांकन खारिज किया जा चुका है, जिनमें से तीन महागठबंधन और एक NDA से हैं।
श्वेता सुमन का नामांकन रद्द, BJP पर लगाया दबाव बनाने का आरोप
राजद की श्वेता सुमन पर आरोप था कि उन्होंने 2020 में उत्तर प्रदेश के चंदौली को अपना निवास बताया था, लेकिन इस बार बिहार का पता दिया। इस पर BJP ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। जांच के बाद चुनाव आयोग ने तकनीकी आधार पर उनका नामांकन खारिज कर दिया।
श्वेता सुमन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:”दिल्ली से RO और CO पर दबाव बनाया गया। उन्होंने कहा कि वो मजबूर हैं। भाजपा, मोदी और शाह के दबाव में ये फैसला हुआ। मैं कोर्ट जाऊंगी।”
उन्होंने BJP प्रत्याशी संगीता सिंह पर जाति प्रमाणपत्र में गड़बड़ी का आरोप लगाया, लेकिन कहा कि “वो भाजपा से हैं, इसलिए कुछ नहीं होगा।”
अब तक जिनके नामांकन खारिज हुए:
1. श्वेता सुमन (RJD – मोहनिया)
-
मूल पता को लेकर विवाद, 2020 और 2025 में अलग-अलग राज्य दिखाए गए।
-
BJP की शिकायत के बाद नामांकन रद्द।
2. शशिभूषण सिंह (VIP – सुगौली)
-
मौजूदा विधायक हैं, पहले RJD में थे।
-
VIP से नामांकन दिया लेकिन 10 प्रस्तावक की जगह सिर्फ 1 प्रस्तावक पेश किया।
-
VIP रजिस्टर्ड क्षेत्रीय पार्टी नहीं, इसलिए नियमों का उल्लंघन।
3. गणेश भारती (VIP – कुशेश्वर स्थान)
-
पार्टी सिंबल वाले पत्र पर VIP अध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं थे।
-
नॉमिनेशन खारिज होने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
4. सीमा सिंह (LJP – मढ़ौरा)
-
भोजपुरी फिल्मों की चर्चित एक्ट्रेस।
-
नामांकन पत्र में तकनीकी त्रुटियां पाई गईं।
जन सुराज के तीन उम्मीदवारों ने नाम वापस लिया
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को भी झटका लगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि:“भाजपा के दबाव में दानापुर, ब्रह्मपुर और गोपालगंज से तीन उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया। ये सूरत मॉडल की तरह लोकतंत्र की हत्या है।”
चुनाव आयोग की सख्ती या राजनीतिक दबाव?
-
चुनाव आयोग का रुख इन मामलों में काफी सख्त दिखाई दे रहा है।
-
विपक्ष का आरोप है कि BJP के दबाव में विपक्षी प्रत्याशियों को निशाना बनाया जा रहा है।
-
लेकिन नामांकन की तकनीकी खामियां इन उम्मीदवारों के खिलाफ सबसे बड़ी वजह साबित हो रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषण
महागठबंधन पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर असंतोष, साझा रैलियों की कमी और अंदरूनी खींचतान से जूझ रहा है। ऐसे में लगातार हो रहे नामांकन रद्द:
-
छवि पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं।
-
जमीनी संगठन की तैयारी पर भी सवाल उठा रहे हैं।
-
वहीं, BJP इसे प्रशासनिक पारदर्शिता और कानून का पालन बता रही है।