Thursday - 25 December 2025 - 11:52 AM

17 साल बाद बांग्लादेश लौटे तारिक रहमान, क्या बदलेगा ढाका का सत्ता संतुलन और भारत की रणनीति?

जुबिली न्यूज डेस्क 

बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान करीब 17 साल बाद स्वदेश लौट आए हैं। उनकी वापसी को देश की राजनीति में एक निर्णायक मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है। ढाका में उनके आगमन के बाद BNP समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।

राजनीतिक अस्थिरता के दौर में वापसी

तारिक रहमान की घर वापसी ऐसे समय हुई है जब बांग्लादेश गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। देश के कई हिस्सों में हिंसक आंदोलन जारी हैं और जमात-ए-इस्लामी जैसी कट्टरपंथी ताकतें दोबारा प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के कार्यकाल में राजनीतिक अनिश्चितता और भारत-विरोधी बयानबाजी में भी इजाफा देखा गया है।

भारत के लिए क्यों अहम है तारिक रहमान की वापसी

नई दिल्ली के लिए यह घटनाक्रम खास मायने रखता है। प्रो-इंडिया मानी जाने वाली आवामी लीग पर चुनाव लड़ने की रोक है, जबकि खालिदा जिया अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे में भारत को आशंका है कि जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान की ISI समर्थित तत्वों का प्रभाव बढ़ सकता है

भारत को चिंता इसलिए भी है क्योंकि शेख हसीना सरकार के दौरान प्रतिबंधित रही जमात ने सत्ता परिवर्तन के बाद फिर से राजनीति में जगह बना ली है। हाल ही में जमात की छात्र इकाई ने ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अप्रत्याशित जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया।

चुनावी गणित: BNP बनाम जमात

ताजा जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, आगामी चुनावों में BNP के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की संभावना है, लेकिन जमात-ए-इस्लामी उसे कड़ी टक्कर दे रही है। यही वजह है कि भारत BNP को एक तुलनात्मक रूप से उदार और लोकतांत्रिक विकल्प के रूप में देख रहा है, भले ही अतीत में दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हों।

BNP से भारत को क्यों दिख रही उम्मीद

शेख हसीना के शासनकाल में भारत-बांग्लादेश संबंध मजबूत रहे और चीन व पाकिस्तान से संतुलित दूरी बनी रही। इसके उलट, यूनुस सरकार के दौरान पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ी हैं और भारत से दूरी महसूस की गई है।

1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा खालिदा जिया के स्वास्थ्य को लेकर सार्वजनिक चिंता जताना और BNP की ओर से उसका आभार प्रकट करना, दोनों के रिश्तों में एक दुर्लभ सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

यूनुस सरकार और जमात से दूरी का संदेश

तारिक रहमान ने स्पष्ट रूप से यूनुस सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं और जमात-ए-इस्लामी के साथ किसी भी चुनावी गठबंधन से इनकार किया है। उन्होंने पहले ही “Bangladesh First” नीति की वकालत करते हुए कहा था:

“न दिल्ली, न पिंडी — बांग्लादेश सबसे पहले”

इस बयान से यह संकेत मिलता है कि BNP न तो भारत और न ही पाकिस्तान के प्रभाव में रहकर नीति बनाने के पक्ष में है।

भव्य रहा ढाका आगमन

तारिक रहमान का ढाका आगमन शक्ति प्रदर्शन में बदल गया।

  • BNP का दावा है कि करीब 50 लाख समर्थक रोड शो में शामिल हुए

  • 10 विशेष ट्रेनों से लगभग 3 लाख कार्यकर्ता राजधानी पहुंचे

  • सरकार ने उच्चतम स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की थी

BNP ने इसे “ऐतिहासिक भीड़” बताया है, जबकि सूत्रों के मुताबिक इस प्रदर्शन से कट्टरपंथी गुट असहज हैं और BNP-जमात टकराव की आशंका बढ़ गई है।

कहां से चुनाव लड़ सकते हैं तारिक रहमान

  • तारिक रहमान: बोगुरा-6 (सदर) सीट

  • खालिदा जिया: बोगुरा-7 (गाबटाली-शाजहानपुर)

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कौन हैं तारिक रहमान

तारिक रहमान पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के पुत्र हैं और 2008 से लंदन में रह रहे थे। शेख हसीना सरकार के दौरान उन पर भ्रष्टाचार और 2004 के ढाका ग्रेनेड हमले सहित कई गंभीर आरोप लगे। BNP ने इन मामलों को राजनीतिक साजिश बताया।पिछले एक साल में अदालतों ने उन्हें सभी प्रमुख मामलों में बरी कर दिया, जिसके बाद उनकी वापसी का रास्ता साफ हुआ।

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