जुबिली स्पेशल डेस्क
नेपाल द्वारा जारी किए गए 100 रुपये के नए नोट ने भारत–नेपाल संबंधों में एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है। इन नए नोटों पर नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाया है-जबकि ये इलाके हमेशा से भारत के उत्तराखंड राज्य का हिस्सा रहे हैं। भारत ने इस कदम को अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
चीन की भूमिका पर भी सवाल
विदेश मामलों के विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि भारत–नेपाल संबंधों में तनाव बढ़ाने में चीन की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार, नेपाल के कुछ राजनीतिक नेता—विशेषकर चीन के करीबी माने जाने वाले—आंतरिक राजनीति के लिए भारत विरोधी मुद्दों को हवा देते रहते हैं।
उन्होंने दावा किया कि नेपाल के ये नए नोट चीन में छपवाए जाने की खबरें भी सामने आई हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि विवाद को भड़काने में बाहरी प्रभाव भी हो सकता है।

भारत ने दी स्पष्ट चेतावनी
एक्सपर्ट संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता से जुड़े किसी भी हस्तक्षेप को सहन नहीं करेगा। भारत सरकार ने नेपाल को स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे कदम दोनों देशों के बीच अनावश्यक तनाव पैदा कर सकते हैं और इन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए।
विवाद की शुरुआत कब हुई?
भारत–नेपाल के बीच सीमा विवाद की शुरुआत वर्ष 2020 में हुई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इस नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था। नेपाल की संसद ने उस नक्शे को मंजूरी भी दे दी थी।
भारत ने उस समय भी इस दावे को “ऐतिहासिक तथ्यों और प्रशासनिक वास्तविकता के विपरीत” बताते हुए खारिज कर दिया था। अब नेपाल द्वारा नए नोटों पर वही विवादित नक्शा छापे जाने से स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो गई है।
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