जुबिली न्यूज डेस्क
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लिए लोकतंत्र जैसी सोच एक बाहरी अवधारणा है और उसे अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में हो रहे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों को रोकना चाहिए। यह बयान हरीश ने UNSC में एक खुली बहस के दौरान दिया।

हरीश ने पाकिस्तान के दावों का जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक ढांचे के अनुसार अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग रहेगा।
संरचना और सुधारों पर उठाए सवाल
हरीश ने संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा संरचना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यूएन को वास्तविक और व्यापक सुधार करने होंगे। उन्होंने कहा कि 80 साल पुरानी संरचना अब दुनिया की नई भू-राजनीतिक परिस्थितियों को नहीं दर्शाती और 1945 की संरचना 2025 की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार नहीं है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि यूएन को स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार करना चाहिए।
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ग्लोबल साउथ को अधिक प्रतिनिधित्व देने पर जोर
हरीश ने कहा कि वैश्विक निर्णय लेने में ग्लोबल साउथ की आवाज को तवज्जो दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुधारों को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने कहा, “ग्लोबल साउथ बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और इसकी अपनी अनूठी चुनौतियां हैं, विशेष रूप से विकास, जलवायु और वित्तपोषण के क्षेत्रों में। वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी होनी चाहिए।”
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