जुबिली स्पेशल डेस्क
20 अक्टूबर 1978 को दिल्ली के नजफगढ़ में जन्मे वीरेंद्र सहवाग ने भारतीय क्रिकेट को आक्रामक सोच की नई परिभाषा दी. जब दुनिया टेस्ट क्रिकेट में सावधानी से खेलने की सलाह देती थी, तब सहवाग ने साबित किया कि तेज रफ्तार सिर्फ वनडे या टी20 की पहचान नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में भी धमाका किया जा सकता है।
सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाले सहवाग ने उनके खेल से प्रेरणा तो ली, लेकिन अपने अंदाज़ से पूरी पीढ़ी को दीवाना बना दिया. वो बल्लेबाज जिसने ‘डर’ शब्द को क्रिकेट से लगभग मिटा दिया। गेंदबाज कोई भी हो — शोएब अख्तर, मुरलीधरन या स्टेन- सहवाग का जवाब हमेशा चौका या छक्का होता था।
मोहाली से मुल्तान तक: संघर्ष से शिखर तक का सफर
1 अप्रैल 1999 को पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में वनडे डेब्यू करने वाले सहवाग पहली पारी में सिर्फ 1 रन बना पाए. लेकिन यही असफलता उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा बनी। कुछ ही समय में उन्होंने अपने चौथे वनडे में अर्धशतक ठोका और भारत को नया मैच-विनर मिल गया।
मार्च 2004, मुल्तान टेस्ट भारत के क्रिकेट इतिहास का स्वर्णिम पन्ना। सहवाग ने पाकिस्तान के खिलाफ 375 गेंदों में 309 रन ठोककर भारतीय क्रिकेट को पहला ट्रिपल सेंचुरियन दिया। छक्के से पूरा किया गया यह तिहरा शतक आज भी हर भारतीय फैन की यादों में दर्ज है. इसी पारी ने उन्हें अमर कर दिया, ‘मुल्तान का सुल्तान’।
जब सहवाग बने रन मशीन
2008 में चेन्नई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 319 रन की तूफानी पारी और 2009 में श्रीलंका के खिलाफ 293 रनों की पारी ने उन्हें सबसे खतरनाक ओपनर के रूप में स्थापित कर दिया।
वनडे में भी वीरू का बल्ला किसी बवंडर से कम नहीं था- 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 219 रन बनाकर उन्होंने दोहरा शतक ठोकने वाले दूसरे भारतीय बनने का गौरव हासिल किया।
आँकड़े जो बताते हैं उनकी दास्तान
- टेस्ट: 104 मैच, 8,586 रन, औसत 49.34, 23 शतक
- वनडे: 251 मैच, 8,273 रन, औसत 35.05, 15 शतक
- टी20: 19 मैच, 394 रन
सहवाग टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में उन गिने-चुने बल्लेबाजों में हैं जिन्होंने एक ही दिन में 250+ रन बनाए — दिसंबर 2009 में श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 284 रन जड़े थे।
क्रिकेट में असाधारण योगदान के लिए वीरेंद्र सहवाग को 2002 में अर्जुन अवॉर्ड, 2010 में पद्मश्री और आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया।
वीरेंद्र सहवाग सिर्फ रन मशीन नहीं थे, वो एक सोच थे- निडर, आक्रामक और आत्मविश्वासी। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाया कि अगर भरोसा हो तो हर गेंद पर चौका लगाया जा सकता है।
आज जब सहवाग 47 वर्ष के हो गए हैं, पूरा क्रिकेट जगत उन्हें सिर्फ एक बल्लेबाज नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी सोच के प्रतीक के रूप में याद कर रहा है ,क्योंकि सहवाग ने सिर्फ क्रिकेट नहीं खेला, क्रिकेट का चरित्र बदल दिया।
वीरेंद्र सहवाग का क्रिकेट करियर रिकॉर्ड
| फॉर्मेट | मैच | रन | औसत | स्ट्राइक रेट | शतक | अर्धशतक | सर्वाधिक स्कोर | उल्लेखनीय रिकॉर्ड |
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| टेस्ट | 104 | 8,586 | 49.34 | 82.23 | 23 | 32 | 319 बनाम साउथ अफ्रीका (2008) | भारत के पहले ट्रिपल सेंचुरियन |
| वनडे (ODI) | 251 | 8,273 | 35.05 | 104.33 | 15 | 38 | 219 बनाम वेस्टइंडीज (2011) | दोहरा शतक लगाने वाले दूसरे भारतीय |
| टी20 अंतरराष्ट्रीय | 19 | 394 | 21.88 | 145.38 | 0 | 2 | 68 बनाम इंग्लैंड (2007) | भारत के शुरुआती टी20 स्टार्स में एक |
| फर्स्ट क्लास | 194 | 15,040 | 49.34 | — | 42 | 55 | 319 | लंबे फॉर्मेट में निरंतर प्रदर्शन |
| लिस्ट A | 423 | 13,571 | 35.32 | — | 24 | 76 | 219 | 200+ स्कोर करने वाले चुनिंदा खिलाड़ी |