जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के देवरिया से बड़ी खबर सामने आई है। जहां 40 मदरसों की जांच के लिए सर्वे टीम पहुंची है। अब तक जनपद में 40 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की सूची बनी है, जहां पर अधिकारी टीम बनाकर जांच कर रहे हैं। सबसे अधिक मदरसे देसही देवरिया विकासखंड में हैं। यहां पर जब जांच करने वाली टीम पहुंची तो मदरसे में हड़कंप मच गया।

बता दे कि देवरिया प्रशासन के निर्देश पर अल्पसंख्यक अधिकारी नीरज अग्रवाल के नेतृत्व में जिले के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच पड़ताल शुरू हो गई है। प्रबंधकों ने बताया कि मदरसों का पूरा संचालन चंदे और गांवों के लोगों से राशन लेकर करते हैं। इस मदरसों में सैकड़ों अल्पसंख्यक छात्र निशुल्क शिक्षा ले रहे है। इन मदरसों में सबसे अधिक बंगाल,बिहार राज्य के बच्चे पढ़ते हैं।
छात्र टेस्ट में हुए फेल
बताया जाता है कि साल में तकरीबन लाखों रुपयों का चंदा मिलता है और इसी से यहां का पूरा इंतजाम किया जाता है। मदरसों का सर्वे करने वाली टीम ने देखा कि कई मदरसों का नाम केवल उर्दू में लिखा है और हिंदी में नहीं। अल्पसंख्यक अधिकारी ने कई बच्चों जब टेस्ट लिया वह हिंदी और इंग्लिश में फेल हुए। वहीं, अरबी भाषा में पास हो गए। जांच के दौरान यह साबित हो रहा है कि इन मदरसों में उत्तर प्रदेश की बेसिक किताबें नहीं चलती हैं। बल्कि, इनकी उर्दू की कोई किताब चलती है और यहाँ सभी छात्र हीब्ज की पढ़ाई करते है।
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गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 40
सूत्रों की मानें तो देवरिया जनपद में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 40 से बढ़कर हो सकती है। साथ में यह भी पता चला है कि जनपद के कई मदरसे देवबंद से ताल्लुक रखते हैं और इनके यहां पठन-पाठन की पूरी संचालन मदरसे के इशारे पर होती है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि बंगाल और बिहार के ही अल्पसंख्यक छात्र आखिर इतनी संख्या में यहां पर कैसे पढ़ने आ रहे हैं।
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