जुबिली स्पेशल डेस्क
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी केद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ याचिका पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई हो रही है। बता दे कि अदालत ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर पूछा था कि आखिर आरोपी की जमानत क्यों न खत्म कर दी जाए? इसके अलावा अदालत ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि इस मामले में गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
अब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब उत्तर प्रदेश सरकार ने दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कहा कि लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा की बेल अर्जी का पुरजोर विरोध किया गया था। इसके अलावा यूपी सरकार ने किसानों के परिजनों के उन आरोपों को भी खारिज किया कि वीआईपी लोगों को जाने दिया गया और गवाहों ही सुरक्षा नहीं की गई।

यूपी सरकार ने कहा
यूपी सरकार ने कहा, ‘यह आरोप कि यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में आशीष मिश्रा की बेल का विरोध नहीं किया था, पूरी तरह से गलत है। यूपी सरकार की ओर से उनकी बेल अर्जी का पुरजोर विरोध किया गया था।’
इसके अलावा लखीमपुर खीरी कांड के एक गवाह पर हमला होने के आरोपों पर भी सरकार ने खारिज किया है। यूपी सरकार ने कहा कि गवाह पर हमला किसी साजिश के तहत नहीं हुआ था बल्कि आपसी रंजिश के चलते वह घटना हुई थी।
गौरतलब है कि यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान ही आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत मिल गई थी। इससे पहले जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने जांच सौंपी थी, तब मिश्रा की गिरफ्तारी हुई थी।
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आरोप है कि जिस गाड़ी से किसानों को कुचला गया वह आशीष मिश्रा की ही गाड़ी थी। किसानों को परिवार ने आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ दस फरवरी को विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह भी संभव है कि प्रदर्शनकारियों को बचाने के लिए ड्राइवर ने गाड़ी तेज चलाई हो और यह हादसा हो गया हो। हालांकि मृतक किसानों के परिवार इस संभावना से इनकार कर रहे हैं।
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