जुबिली न्यूज डेस्क
देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा कि शासकों को रोजाना इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि उनके फैसले उचित हैं या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि शासकों को यह भी परखना चाहिए कि उनके अंदर कोई बुराई तो नहीं है। जस्टिस रमन्ना ने यह बातें आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थीनगर में एक कार्यक्रम में कही।

इस मौके पर उन्होंने महाभारत और रामायण का जिक्र करते हुए कहा कि शासकों में 14 अवगुण होते हैं। इन्हें दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए।
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जस्टिस रमन्ना ने कहा कि लोकतंत्रा में जनता ही सर्वोपरि होती है। ऐसे में सरकार की ओर से जो भी फैसला लिया जाए, उसका फायदा जनता को जरूर मिलना चाहिए, यह जानने के लिए विश्लेषण जरूरी है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, यह उनकी इच्छा है कि देश की सभी व्यवस्थाएं स्वतंत्र और ईमानदार हों। उनका लक्ष्य लोगों की सेवा करना हो। सत्य साईं बाबा भी यही बात कहते थे।
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से आधुनिक शिक्षा प्रणाली केवल उपयोगी कार्य पर ध्यान केंद्रित करती है। ऐसी प्रणाली शिक्षा के उस नैतिक या आध्यात्मिक पहलू पर आधारित नहीं है, जो छात्रों के चरित्र निर्माण के अलावा उनमें सामाजिक चेतना व जिम्मेदारी का भाव जगाने पर जोर देती है।’
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सत्य साईं बाबा के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे बाबा के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था। मैंने हमेशा उनके ज्ञान के शब्दों को अपने जीवन में लागू किया है। उन्होंने सत्य साईं को सेवा का सबसे बड़े समर्थक बताया।
उन्होंने कहा, सत्य साईं का मतलब प्यार था। सत्य साईं का मतलब सेवा था। सत्य साईं का मतलब त्याग था। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता और राहत कार्यों के जरिये बाबा ने दुनिया को हमेशा सेवा का मार्ग दिखाया है।’
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