जुबिली न्यूज डेस्क
देश में फैली कोरोना महामारी को लेकर कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। सोनिया ने कहा कि राष्ट्रीय संकट के दौरान राजनीतिक सहमति की जरूरत होती है, लोगों की सुनने की जरूरत होती है, लेकिन यह सरकार ऐसा तेवर दिखा रही है कि उसे सब कुछ पता है।
सोनिया गांधी ने यह बातें अंग्रेजी अखबार द हिन्दू को दिए इंटरव्यू में कही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने पहले ही कोरोना से लड़ाई में जीत की घोषणा कर दी थी। कोरोना को लेकर संसदीय समितियों की सिफारिशों की उपेक्षा की गई।

सोनिया गांधी ने कहा कि फरवरी माह के शुरुआत में ही देश और विदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोरोना को लेकर निश्चिंतता पर चेतावनी दे रहे थे, लेकिन केंद्र सरकार शेखी बघारने में लगी रही। कोरोना संक्रमण जिन कार्यक्रमों के जरिए तेजी से फैल सकता था, उनके आयोजन की अनुमति दी गई। सरकार ने यह सोचा ही नहीं कि उनकी लापरवाही का क्या असर होगा।
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कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी निर्दयतापूर्वक वैक्सीन नीति का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते रहे। उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के आंकड़े कम करते दिखाए जा रहे हैं।
सोनिया ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मदद का स्वागत है लेकिन यह दयनीय स्थिति है कि इस तरह की मदद का भी प्रधानमंत्री की जय-जयकार में इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता ही गलत है। एक तरफ सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है तो दूसरी तरफ देश विदेशों से मदद के लिए मजबूर हो रहा है।

कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ”यह समय ऐसा है कि बिना वाहवाही की चिंता किए हर कोई साथ मिलकर काम करे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से जिस तरह से मदद मिल रही है, उसे लेकर मैं उनका शुक्रगुज़ार हूं, लेकिन यह तब और दयनीय लगता है जब इन अंतरराष्ट्रीय मदद को प्रधानमंत्री की जय-जयकार में इस्तेमाल किया जाता है।
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उन्होंने कहा कि जबकि सच यह है कि अंतरराष्ट्रीय मदद सरकार की अक्षमता, असंवेदनशीलता और प्राथमिकता की समझ नहीं होने का परिचायक है। क्या यह वक्तत सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को युद्धस्तर पर आगे बढ़ाने का है?”
सोनिया ने कहा, ”पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को बहुत संयमित और रचनात्मक पत्र भेजा था। यह पत्र उनके अध्ययन और अनुभव के आधार पर था., लेकिन दुखद है कि प्रधानमंत्री ने उनके पत्र का जिक्र तक नहीं किया जबकि स्वास्थ्य मंत्री ने इस पत्र के लिए मनमोहन सिंह पर निजी हमला किया।
उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए सरकार का ये तेवर है। मैं स्वास्थ्य मंत्री के जवाब से हैरान थी। मैंने कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखे हैं लेकिन कोई सार्थक जवाब नहीं मिला। पिछले 14 महीनों में कोविड महामारी को लेकर प्रधानमंत्री को मैंने 10 पत्र लिखे। सारे पत्रों में महामारी से निपटने को लेकर रचनात्मक सुझाव थे।”
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