प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्रों के डेटाबेस निजी व्यक्ति को लीक होने तथा इसे अन्य व्यक्तियों को सार्वजनिक रूप से बेचे जाने के मामले में अब तक एफआईआर दर्ज न किये जाने पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने गंभीर आपत्ति दर्ज कराई है.
डीजीपी हितेश चन्द्र अवस्थी तथा अन्य को भेजे अपने पत्र में अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि उन्होंने 14 दिसम्बर 2020 को एसएसपी कानपुर नगर को उत्तर प्रदेश के 10वीं तथा 12वीं की परीक्षा के छात्रों का डाटाबेस लीक होने तथा थाना रायपुरवा, कानपुर नगर स्थित इंडीस कंपनी के लोगों द्वारा इसे बेचे जाने की शिकायत की थी.

उन्होंने बताया था कि कंपनी द्वारा एक पिनकोड का डाटाबेस 1000 रुपये में, एक शहर का डेटाबेस 3500 रुपये में तथा पूरा डाटाबेस 6500 रुपये में बेचा जा रहा हैं. कंपनी के लोगों के अनुसार उनके पास उत्तर प्रदेश में वर्ष 2020 में 10वीं के 3,46,505 तथा 12वीं के 2,27,984 छात्रों के डेटाबेस है. इस डेटाबेस में छात्रों के नाम, पिता का नाम, ईमेल तथा मोबाइल नम्बर भी शामिल हैं.
अमिताभ ने कहा कि 10वीं तथा 12वीं की परीक्षा में बैठे स्टूडेंट्स का डाटाबेस प्राप्त किया जाना प्रथम दृष्टया आपराधिक कृत्य जान पड़ता है, क्योंकि यह डेटाबेस पूरी तरह संबंधित परीक्षा बोर्ड का स्वत्वाधिकार है. उन्होंने कहा कि इस तथ्य से अवगत होने के बाद भी आज तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.
उन्होंने इस संबंध में एसएसपी / डीआईजी सहित सभी पुलिस अफसरों से बात की किन्तु सभी लोग अभी तक जाँच किये जाने की बात कर रहे हैं.
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अमिताभ ठाकुर ने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जाँच की जानी चाहिए थी क्योंकि एफआईआर में विलंब होने पर अभियुक्तगण को इसका निश्चित लाभ मिलेगा. आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी से मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्यवाही कराये जाने मांग की है.
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