
न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में प्रदर्शन हो रहा है। यूरोप के अधिकांश देशों में सीएए के विरोध में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। इतना ही नहीं बीते साल सितंबर में अमेरिका के ह्यूस्टन शहर जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाउडी मोदी इंवेंट कसे संबोधित किया था, वहां सीएए के विरोध में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
अमेरिका के कई शहरों में मोदी सरकार की ओर से लाए गए संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें टेक्सास प्रांत भी शामिल है, जहां ‘हाउडी मोदी’ का आयोजन हुआ था।
पिछले माह में भी हार्वर्ड से लेकर सैन फ्रांसिस्को तक में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें पीएम नरेंद्र मोदी को विभाजनकारी राजनीति करने वाला बताया गया है।
अमेरिका में प्रदर्शन करने वाले लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीडऩ का शिकार हुए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले कानून को मुस्लिमों और संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। इनका कहना है कि भले ही अभी संख्या कम है, लेकिन यह सच है कि मोदी सरकार से लोगों का कुछ मोह भंग हुआ है।’
अमेरिका में पिछले 45 साल से रह रहीं निधि कहती हैं कि यदि हम भारतीय मूल के लोग ही इस कानून के खिलाफ नहीं खड़े होते हैं तो यह नैतिक रूप से गलत होगा।
अमेरिका में नागरिक संसोधन कानून को लेकर भारतीय दूतावास के बाहर भी गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदर्शन हुआ था। कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों में छात्र, अकादमिक जगत के विद्वान और अल्पसंख्यक शामिल हैं।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पहली बार 2014 में जब बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई थी, तब अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों ने स्वागत किया था। उनका कहना था कि पीएम नरेंद्र मोदी भारत को आर्थिक महाशक्ति बना सकते हैं। हालांकि ग्रामीण स्तर पर कमजोर मांग और बैंकिंग सिस्टम के चरमराने की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है।
यह भी पढ़ें :उमर पर बीजेपी के ट्वीट से मचा हंगामा
यह भी पढ़ें :कोरोना वायरस को लेकर कितनी सतर्क है भारत सरकार
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
