Tuesday - 9 January 2024 - 11:19 AM

अमीरी-गरीबी के बीच घट रही है खाई, आकड़े कर देगा हैरान

जुबिली न्यूज डेस्क

देश में आय से जुड़ी असमानता हाल के वर्षों में घटी है। SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, मिडल क्लास की हालत बेहतर हो रही है। इकनॉमी के कुछ हिस्सों की बेहतर ग्रोथ होने और बाकियों के पीछे छूट जाने के दावे सही नहीं हैं। एक तिहाई से अधिक टैक्सपेयर ऊंचे इनकम टैक्स दायरे में आ गए हैं। टोटल इनकम में टॉप टैक्सपेयर्स की हिस्सेदारी घट रही है। जोमैटो जैसे ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग प्लैटफॉर्म्स का इस्तेमाल बढ़ने और आईफोन की बिक्री का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि इनकम बढ़ने से अफोर्डेबिलिटी बढ़ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014 में देश के 23 लोगों की आमदनी 100 करोड़ रुपये से ज्यादा थी। उनकी कुल इनकम 29290 करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2021 में 100 करोड़ रुपये से अधिक आय वालों की संख्या 136 हो गई और उनकी कुल इनकम 34301 करोड़ रुपये थी। 100 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वाले 23 लोगों की कंबाइंड इनकम वित्त वर्ष 2014 में टोटल इनकम की 1.6 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2021 में टोटल इनकम में इस टॉप ग्रुप की हिस्सेदारी घटकर 0.77 प्रतिशत रह गई।

आय की असमानता घटी

इसी तरह 10 करोड़ रुपये से अधिक कमाई वाले टॉप 2.5 पर्सेंट टैक्सपेयर्स की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 से 2021 के बीच 2.81 प्रतिशत से घटकर 2.28 प्रतिशत पर आ गई। वहीं, 3.5 लाख रुपये से कम आमदनी वालों में आय की असमानता घटी है। वित्त वर्ष 2014 से 2021 के बीच यह 31.8 प्रतिशत से 15.8 प्रतिशत रह गई। इसका मतलब यह है कि टोटल इनकम में इस इनकम ग्रुप की हिस्सेदारी उनकी आबादी की तुलना में 16 प्रतिशत बढ़ गई। 36.3 पर्सेंट टैक्सपेयर लोअर इनकम से हायर इनकम टैक्स दायरे में चले गए। रिपोर्ट में कहा गया कि हर इनकम क्लास में ग्रोथ दिखी है, लेकिन असमानता घट रही है।

ITR दाखिल करने वाले बढ़े

5 लाख से 10 लाख रुपये तक की इनकम वाले टैक्सपेयर्स की ओर से दाखिल होने वाले आईटीआर में AY 2013–14 और 2021–22 के बीच 295 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इससे पता चलता है कि ग्रॉस टोटल इनकम की ऊपरी रेंज की ओर माइग्रेशन हो रहा है। इसी दौरान 10 लाख से 25 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं की ओर से दाखिल किए गए आईटीआर में 291 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।

‘K-शेप’ रिकवरी पर उठाए सवाल

रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड महामारी के बाद इकॉनमी में K शेप वाली रिकवरी होने के दावे गलत हैं। जब अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों की ग्रोथ होने के साथ दूसरे हिस्से मुश्किल में फंसे रहते हैं तो इसे के-शेप यानी असमान रिकवरी कहा जाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के बाद लोग अपनी बचत रियल एस्टेट सहित फिजिकल असेट्स में लगा रहे हैं और काफी लोग दोपहिया गाड़ियों से यूज्ड या एंट्री लेवल कारों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।

15% महिलाएं करती हैं टैक्स फाइल

रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिविजुअल टैक्स फाइल करने वालों में महिलाओं की तादाद करीब 15 प्रतिशत है। केरल, तमिलनाडु, पंजाब और वेस्ट बंगाल में इनकी हिस्सेदारी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि मीडियम एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज के इनकम पैटर्न में भी बदलाव आया। करीब 19.5 छोटी फर्मों की आमदनी इतनी बढ़ी है कि वे अब एमएसएमई कैटिगरी में आ गई हैं। इनमें से 4.8 पर्सेंट ने खुद को स्मॉल, करीब 6.1 प्रतिशत ने मीडियम साइज और लगभग 9.3 पर्सेंट ने लार्ज साइज फर्म में बदल लिया। इससे पता चलता है कि एमएसएमई बड़ी हो रही हैं और प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी योजनाओं के साथ बड़ी वैल्यू चेन से जुड़ रही हैं।

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