
भारत में लोकसभा चुनाव एक बड़ा उत्सव है। हर पांच साल पर आने वाले इस उत्सव में पूरा देश शामिल होता है। इस उत्सव में जाति-धर्म, गरीबी-अमीरी का फर्क मिट जाता है। गरीब मतदाता भी नेताओं के लिए उतना ही कीमती होता है जितना अमीर। इसलिए इस उत्सव में शामिल होने का एक अलग ही रोमांच होता है, खासकर युवाओं में।
वर्तमान में देश में सबसे ज्यादा वोटर युवा है। वो ही सरकार बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। जुबिली पोस्ट ने लखनऊ के कुछ युवाओं से बात कर उनका नजरिया जानने की कोशिश की, कि वो किन मुद्दों पर अपना बहुमूल्य मत देंगे। वह आज के राजनैतिक दल और नेताओं के बारे में क्या सोच रखते हैं।

सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अभिशिखा का कहना है कि मुद्दा कोई भी सरकार ऐसी बने जो कानून व्यवस्था सही कर सके, लेकिन आजकल माफिया ही नेता बन जा रहे हैं और कानून का अपनी जेब में रखते हैं। जनता को ऐसे उम्मीदवार को वोट देना चाहिए जो भयमुक्त समाज बनाने में मदद करे।

बरेली कॉलेज में पढाई कर रही ज्योति कहती हैं कि रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। भारत एक युवा देश है, जहां की सबसे बड़ी समस्या बेराजगारी है। युवा अगर सही राह पर नहीं चलेंगे तो तो देश भी सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता है। मेरा वोट उस दल को जो रोजगार देगा।

सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे रोहित का कहना है कि चुनाव में केवल रोजगार मुद्दा होना चाहिए। जब तक देश का युवा बेरोजगारी की मार झेलेगा, तब तक हम कभी विकसित देश नहीं बन सकते हैं। रोहित आगे कहते हैं, ‘जो रोजगार की बात करेगा मेरा वोट उसी को।’

प्राइवेट नौकरी कर रही दिव्यांजलि श्रीवास्तव कहती हैं समाज अगर शिक्षित होगा तभी सही मायने में देश का विकास हो सकता है। दिव्यांजलि कहती है लोकसभा चुनाव में असली मुद्दा शिक्षा होना चाहिए, जो नेता शिक्षा के सुधार के लिए आवाज उठायेगा हम उसी को वोट देंगे।

वकालत की पढाई कर रहे शोएब अलीवी का मानना है कि चुनाव में मुद्दे तो कई होते हैं, लेकिन लोग उम्मीदवार की जाति और धर्म देख कर वोट करते हैं। बल्कि जो काम करे और ईमानदार हो उसे वोट देना चाहिए।

छात्र नितेश कुमार का कहना है कि जनता को मुद्दों के जाल में फंसा कर नेता चुनाव जीत लेते हैं, लेकिन पांच साल तक नहीं दिखते हैं और न ही अपने वादों को पूरा करते हैं। इसलिए मैनें इस बार नोटा का चुना है।

गृहिणी डॉली सिंह लोकसभा चुनाव में महंगाई को प्रमुख मुद्दा मानती हैं। डॉली कहती हैं महंगाई ने पूरा बजट ही बिगाड दिया है। सरकार को हवाई मुद्दों के बजाए जमीनी मुद्दों की बात करनी चाहिए।
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