- आखिर कब सुधरेगी कार्यप्रणाली, यह भी शोध का विषय..
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। रामनगरी के अवध विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली सुधरने का नाम ही नहीं ले रही। प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि किसी विषय पर शोध करने में आपकी जवानी अधेड़ में तब्दील हो सकती है।
किसी भी विश्वविद्यालय से पीएचडी करने में अमूमन चार साल का समय लगता है लेकिन अवध विश्वविद्यालय में आठ साल लग जाएंगे। अन्य विषयों के साथ यह भी शोधार्थियों के लिए टापिक हो सकता है कि आखिर कब सुधरेगी अवध विश्वविद्यालय की प्रशासनिक कार्य प्रणाली।
वर्ष 2020 के सितंबर माह में पीएचडी के लिए आनलाइन आवेदन मांगे गए थे। इसकी प्रवेश परीक्षा उसी वर्ष नवंबर में संपन्न हो गई। जनवरी 2021 मे साक्षात्कार भी संपन्न हो गया।

कोर्स वर्क के लिए छ माह का समय होता है। कोर्स वर्क की लिखित परीक्षा नवंबर 2022 में संपन्न हुई। परीक्षा परिणाम लंबित है। नियमानुसार जो परीक्षा अप्रैल में हो जानी चाहिए थी वह नवंबर में हुई। जिसके कारण 8 महीने समय की इधर बर्बादी हुई और एक ही पेपर का रिजल्ट जो 10- 15 दिन में आ जाना चाहिए 4 महीने से अधिक समय का समय हो गया है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक पद पर पिछले कइ वर्षों से एक ही व्यक्ति का कब्जा है। ये उच्च शिक्षा मंत्री का फरमान की धता है। अवैध नियुक्तियों व भ्रष्टाचार के आरोपों में इस्तीफा दे चुके पूर्व कुलपति रविशंकर सिंह पटेल के समय से ताकतवर हो चुके इस अधिकारी पर राजसी कृपा बरपा है।
छात्रों का एक वर्ष से अधिक समय परीक्षा नियंत्रक की कृपा से बर्बाद हो रहा है। इसके बाद अभी शिक्षक / छात्र थीसिस का कार्य करेंगे, जिसमें कम से कम 3-४ साल लग जाता है। इस प्रकार अवध विश्वविद्यालय में पीएचडी करने में 6 से 7 वर्ष लग जाएगा।
नैक मूल्यांकन में गुणवत्ता का ढ़िढोरा पीटा जा रहा है। हकीकत यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
शोध करने वाले परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। इस दोषपूर्ण प्रक्रिया में शोध करने वालों की जवानी तो अधेड़ हो ही रही है साथ में उन शिक्षकों का प्रमोशन भी बाधित हो रहा जो पीएचडी पूर्ण होने के इंतजार में हैं।
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