Wednesday - 10 January 2024 - 6:59 AM

Yogi समय रहते नहीं चेते तो अधिकारी ‘राम नाम सत्य’ कर देंगे

अविनाश भदौरिया

‘राम नाम सत्य है’ इस वाक्य का अर्थ तो यह है कि, राम नाम ही सत्य है लेकिन इसे किसी के मरने पर कहा जाता है जब अंतिम यात्रा निकल रही होती है। हम इसका जिक्र यहां इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश की अफसरशाही योगी सरकार की जिस तरह फजीहत कराने में लगी है उसके बाद 2022 में उनकी वापसी मुश्किल ही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भगवान राम पर बड़ी आस्था है। योगी राम भक्त हैं और शासक सख्त हैं। यूपी का मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने जिस तरह अफसरों और नेताओं पर नकेल कसी उसकी तारीफ उनके विरोधी भी करते हैं।

सीएम बेहद साधारण जीवन जीते हैं और जनता का हित उनके लिए सर्वोपरि है। लेकिन ऐसा लगता है कि सूबे के अफसर उनसे खुश नही है या फिर कोई है जिसने उनके आंखों में कोई चश्मा लगा रखा है जिसमे सब हरा-हरा ही दिखता है।

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ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सीएम योगी अपनी स्वच्छ और साफ सुथरी छवि को लेकर जितने संजीदा हैं उनके अधिकारी उतने ही लापरवाह और बेखौफ हैं। बांदा में बच्चों से स्कूल बैग वापस लेने का मामला हो या फिर बांटे हुए कंबल का। इन सभी मामलों में योगी सरकार की भद्द पिटी और जनता में गलत सन्देश गया। वहीं अब लगातार सरकारी कार्यक्रमों में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के मामले सामने आ रहे हैं।

सोचने वाली बात है कि एक के बाद एक घटना सामने आ रही है और किसी पर कोई कार्रवाई नही हो रही। कार्रवाई के नाम पर किसी छोटे कर्मी को बलि का बकरा बना दिया जाता है लेकिन जो असल में जिम्मेदार हैं उन पर कोई एक्शन नहीं होता। शायद यही वजह है कि इस तरह के मामले रुकने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं।

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कुल मिलाकर एक बात तय है कि अगर मुख्यमंत्री समय रहते नही चेते तो उनकी सरकार का ‘राम नाम सत्य’ होने से कोई नहीं रोक पाएगा। आइए हाल ही में जारी उन आदेशों पर नजर डालते हैं जिसकी वजह से सरकार बदनाम हुई है।

गंगा दल के सेवा सत्कार में लगी शिक्षकों की ड्यूटी

बिलग्राम के राजघाट पर गुरुवार को गंगा यात्रा आ रही है। जिसकी प्रशासन की तरफ से जोरदार तैयारियां की गई हैं। रात्रि प्रवास के लिए राजस्व विभाग के कर्मचारियों के साथ ही पुलिस कर्मियों को भी लगाया गया है। जोकि रात में ड्यूटी देंगे। इसी बीच सोशल मीडिया पर खंड शिक्षा अधिकारी बिलग्राम-सांडी के एक आदेश की कॉपी वायरल होने से योगी सरकार की फजीहत हो गई है।

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बता दें कि खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा अध्यापकों को जारी आदेश में गंगा दल के रात्रि प्रवास के दौरान ठहरने, खाना और नाश्ता के इंतजाम की बात कही गई है।

बीएसए ने आदेश को बताया फर्जी

हालांकि बीएसए हेमंतराव का कहना है कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। बीएसए का कहना है कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है और न ही आदेश जारी किया गया है। उन्होंने आदेश को फर्जी बताया है। दूसरी तरफ बीईओ राजेंद्र चतुर्वेदी का कहना है कि उन्होंने केवल स्कूल खुला रखने की बात कही है।

दुल्हनों को सजाने के लिए शिक्षिकाओं की लगाई थी ड्यूटी

बता दें इससे पहले सिद्धार्थनगर में सामूहिक विवाह कार्यक्रम में दुल्हनों को सजाने के लिए शिक्षिकाओं को खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश चर्चा में रहा था। इस मामले में ABSA पर कार्रवाई भी हुई थी जिसके बाद डीएम का आदेश वायरल हुआ था और सवाल खड़े हुए थे कि, जिलाधिकारी की गलती की सजा ABSA को क्यों मिली।

इंजीनियरों को गाय-सांडों को कंट्रोल करने की मिली ड्यूटी

उत्तर प्रदेश के ही बिजनौर में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। यहां लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय की ओर से एक आदेश जारी करके 9 इंजीनियरों की ड्यूटी सीएम योगी के संभावित दौरे के दौरान लगाई गई थी। इस ड्यूटी के दौरान उन्हें आवारा पशुओं की पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि, बाद में इस फरमान को वापस ले लिया गया था।

अधिकारी बेख़ौफ़ क्यों है

अधिकारी बेख़ौफ़ इसलिए हैं क्योंकि उन्हें लापरवाही पर कोई सख्त सजा मिलने की बजाय इनाम मिल जाता है। सीएम ने किसी भी मामले में ऐसा उदहारण पेश नही किया जिससे गलती करने वालों के मन में खौफ पैदा होता। सीएम योगी को इस मामले में मायावती से सीख लेनी चाहिए। साथ ही उन्हें अधिकारियों और दरबारियों के मामले में अखिलेश यादव के हश्र को भी ध्यान में रखना चाहिए। बेहतर होगा कि, सीएम अपना सूचना तंत्र मजबूत करें और जनता से सीधा संवाद बढाए।

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