जुबिली न्यूज डेस्क
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस घटना पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 19 फरवरी को सुनवाई होगी, और कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुरेश चंद्र पांडेय से घटना से जुड़े तथ्य पेश करने के लिए कहा है, ताकि सरकार से जवाब तलब किया जा सके।

याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के जरिए इस घटना की उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा जांच कराने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि न्यायिक निगरानी समिति का गठन किया जाए, क्योंकि सरकार द्वारा गठित न्यायिक जांच आयोग का दायरा बहुत सीमित है और उसमें लापता लोगों की संख्या और मौतों के आंकड़े शामिल नहीं हैं।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से 19 फरवरी तक घटना से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने को कहा है। याचिका में मारे गए लोगों और लापता व्यक्तियों के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग की गई है। इसके साथ ही महाकुंभ और प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से अस्पतालों और पोस्टमार्टम हाउस में दाखिल किए गए लोगों का रिकॉर्ड भी मांगा गया है।
याचिका में पांटून पुलों के क्षतिग्रस्त होने और उनकी मरम्मत की जांच की भी मांग की गई है, क्योंकि मेला स्थल पर कई पुल आधे रास्ते में बंद हो गए थे, जिससे सुरक्षा पर सवाल उठे हैं।
ये भी पढ़ें-रणवीर इलाहाबादिया सुप्रीम कोर्ट पहुँचे, जानें कोर्ट ने क्या कहा
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दूसरे अमृत स्नान से पहले रात को संगम नोज़ पर भगदड़ मच गई थी, जिसमें सरकार ने 30 मौतों की पुष्टि की है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि भगदड़ एक जगह नहीं, बल्कि कई स्थानों पर हुई थी और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार मृतकों की सही संख्या छुपा रही है।
 Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
				
 
						
					 
						
					 
						
					 
						
					 
						
					