जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जाति-आधारित राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक तौर पर जातिगत पहचान के प्रदर्शन पर रोक लगाने का ऐलान किया है। सरकार के इस आदेश के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है।

अखिलेश यादव का पलटवार
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फैसले पर तीखा हमला बोला। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा— “5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा? वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा? किसी के मिलने पर नाम से पहले जाति पूछने की मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या किया जाएगा?”
उन्होंने आगे सवाल उठाते हुए कहा कि—“किसी का घर धुलवाने की सोच, झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने की साजिशें और जातिगत भेदभाव की मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?”
इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश
दरअसल, यूपी सरकार का यह कदम इलाहाबाद हाईकोर्ट के 16 सितंबर के फैसले के बाद उठाया गया है। कोर्ट ने साफ कहा था कि पुलिस दस्तावेजों में जाति का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए, सिवाय उन मामलों के जहां SC-ST एक्ट, 1989 के तहत कानूनी रूप से आवश्यक हो।
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किस पार्टियों पर पड़ेगा असर?
इस आदेश से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी और अपना दल जैसी जाति-आधारित राजनीति करने वाली पार्टियों पर सीधा असर पड़ सकता है। सरकार ने इसे “सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा” बताते हुए लागू किया है।
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