जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों के बंटवारे की औपचारिक घोषणा भले ही हो गई हो, लेकिन इसके साथ ही अंदरूनी नाराज़गी की आंच भी तेज हो गई है।
रविवार को घोषित सीट शेयरिंग फार्मूले के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) को 101-101 सीटें, जबकि चिराग पासवान की LJP (रामविलास) को 29 सीटें दी गई हैं। वहीं, जीतन राम मांझी की ‘हम’ (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्र लोक मत (RLM) को मात्र 6-6 सीटें मिली हैं।
चिराग पासवान खुश, लेकिन सहयोगी नाखुश
यह बंटवारा चिराग पासवान के लिए किसी ‘राजनीतिक बोनस’ से कम नहीं माना जा रहा, क्योंकि उन्हें उम्मीद से ज़्यादा सीटें मिली हैं। लेकिन दूसरी ओर, मांझी और कुशवाहा दोनों ने साफ इशारों में असंतोष जताया है — जो NDA की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहा है।
मांझी की चेतावनी: “खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है”
‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी ने शुरुआती संतुष्टि के बाद ही तीखा रुख दिखाया। उन्होंने कहा “हमें सिर्फ 6 सीट देकर हमारी राजनीतिक अहमियत कम आंकी गई है। इसका खामियाज़ा NDA को भुगतना पड़ सकता है।”
मांझी ने पहले 15 सीटों की मांग रखी थी और अब उनकी यह बयानबाज़ी साफ दिखा रही है कि वे गठबंधन के भीतर अपनी उपेक्षा से नाराज़ हैं।
कुशवाहा का भावुक संदेश: “कई घरों में आज खाना नहीं बना होगा”
दूसरे असंतुष्ट सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर भावुक पोस्ट में लिखा “आप सभी से क्षमा चाहता हूं। आपके मन के अनुकूल सीटें नहीं मिल सकीं… मुझे पता है, इस फैसले से हजारों लोगों का मन दुखी हुआ है। आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा।”कुशवाहा NDA से 24 सीटें चाहते थे, पर उन्हें सिर्फ 6 मिलीं।
NDA के लिए सबसे बड़ी चुनौती: अंदरूनी असंतोष को कैसे संभाले?
पांच दलों के इस गठबंधन में दो सहयोगियों की नाराज़गी चुनाव से ठीक पहले BJP और JDU के लिए सिरदर्द बन सकती है।मांझी दलित और कुशवाहा ओबीसी वोट बैंक पर गहरी पकड़ रखते हैं। ऐसे में अगर यह असंतोष लंबा खिंच गया, तो NDA का वोट समीकरण प्रभावित हो सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार बिहार चुनाव में लड़ाई सिर्फ सीटों की नहीं, भरोसे की भी है। अगर BJP और JDU इन नाराज़ सहयोगियों को जल्द नहीं मना पाए, तो यह “छोटी सीटें, बड़ा नुकसान” वाली स्थिति बन सकती है।