Tuesday - 18 November 2025 - 7:59 AM

क्या बांग्लादेश की मौत की सजा भारत में लागू होती है?

जुबिली स्पेशल डेस्क

बांग्लादेश में इस समय राजनीतिक तनाव अपने चरम पर पहुँच चुका है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) सोमवार, 17 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना से जुड़े कथित मानवता-विरोधी अपराधों के मामले में अपना फैसला सुनाया है। शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश की इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला आ गया और कोर्ट ने दोषी माना है।

बता दे कि हसीना के खिलाफ जुलाई विद्रोह में निहत्थे नागरिकों पर गोली चलवाने का आरोप है। कोर्ट के इस फैसले के बाद हसीना की मुश्किलें बढ़ सकती है और अब ये देखना होगा हसीना इस पर अगला कदम क्या उठाती है।

अब भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को क्राइम्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी के आरोपों में मौत की सज़ा सुनाई गई है। ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने यह फैसला सुनाया है।

लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत उन्हें बांग्लादेश के हवाले करेगा? क्या इस सज़ा का भारत में कोई कानूनी प्रभाव पड़ता है? क्या इस फैसले को संयुक्त राष्ट्र मान्यता देता है? और क्या अब शेख हसीना की जान भारत के निर्णय पर निर्भर है?

कानूनी रूप से देखा जाए तो किसी भी विदेशी अदालत का फैसला भारत में तब तक लागू नहीं होता, जब तक भारतीय न्यायालय उसकी समीक्षा करके उसे स्वीकार न कर लें। इसलिए भारत में मौजूद शेख हसीना पर ICT-1 द्वारा दी गई मौत की सज़ा का सीधा कानूनी प्रभाव नहीं पड़ता।

साफ मतलब यह है कि भारत में रहने के दौरान ICT-1 की यह सज़ा स्वतः लागू नहीं होती।

क्या UN इस सज़ा को लागू करा सकता है?

  • ICT-1 दरअसल बांग्लादेश की एक घरेलू अदालत है। संयुक्त राष्ट्र केवल दो अंतरराष्ट्रीय न्यायिक संस्थाओं के फैसलों को लागू कराने की क्षमता रखता है:
  1. ICC – International Criminal Court

  2. ICJ – International Court of Justice

  • चूंकि ICT-1 की जूरिस्डिक्शन UN-एनफोर्स्ड नहीं है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र भारत पर किसी भी तरह का दबाव नहीं डाल सकता।
    मतलब यह कि UN भारत को शेख हसीना को बांग्लादेश के हवाले करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

बांग्लादेश में इस वक्त काफी तनाव की स्थिति देखने को मिल रही है। दरअसल वहां पर लगातार हिंसा का दौर जारी है। आलम तो ये रहा कि शेख हसीना को अपनी कुर्सी तक छोडऩी पड़ी और इसके बाद उनको अपना मुल्क छोडक़र भारत में रहने पर मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं उनके मुल्क छोड़ने के बावजूद वहां पर हिन्दुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।

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