Sunday - 7 January 2024 - 2:40 AM

क्या बंगाल में बीजेपी अपने कुनबे को बचा पाएगी या नहीं

जुबिली स्पेशल डेस्क

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने जीत की हैट्रिक लगायी है। चुनाव से पूर्व बीजेपी लगातार ममता को चुनौती दे रही थी। इतना ही नहीं तृणमूल कांग्रेस का कुनबा भी इस चुनाव में बिखर गया था, क्योंकि पार्टी के कई बड़े-बड़े नेताओं ने ममता का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था।

हालांकि अब तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है। दरअसल ममता की जीत के बाद वहां पर बीजेपी का कुनबा टूटने के कगार जा पहुंचा है।

जानकारी मिल रही है कि टीमएमसी से आये कई नेता बीजेपी से अब किनारे करने का मन बनाते नजर आ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण है तृणमूल कांग्रेस का दामन छोडक़र बीजेपी में शामिल हुईं पूर्व विधायक सोनाली गुहा।

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दरअसल सोनाली गुहा ने अपनी गलती का एहसास अब हुआ है और अब दोबारा तृणमूल कांग्रेस में शामिल होना चाहती है।

वही ममता बनर्जी ने इन नेताओं को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने टीएमसी से बीजेपी गए नेताओ को पुन: लौटने का खुला न्योता दे दिया है।

 

एक दिन पहले ममता बनर्जी की पूर्व सहयोगी सोनाली गुहा ने तृणमूल कांग्रेस में लौटने का इरादा जताया था। अब इसी कड़ी में सरला मुर्मू का नाम भी जुड़ गया है।

विधान सभा चुनाव से पूर्व मुर्मू ने तृणमूल कांग्रेस से किनारा कर लिया था और इसका कारण था कि उन्हें पार्टी ने जहां से टिकट दिया था वह उससे खुश नहीं थीं। अब उन्होंने तृणमूल में लौटने की इच्छा जाहिर की है।

जानकारी यहां तक मिल रही है कि ममता की इस घोषणा के बाद बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ कर हार का मुंह देखने पूर्व टीएमसी नेता पुन: ममता के साथ आ सकते हैं।

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विधान सभा चुनाव से कुछ दिन पूर्व तृणमूल कांग्रेस से कई नेताओं ने किनारा कर बीजेपी शामिल हो गए थे। इसके साथ ही बीजेपी ने उन नेताओं के सहारे पश्चिम बंगाल में कमल खिलाने का सपना देख रही थी लेकिन उनका यह ख्वाब पूरा नहीं हो सका।

 

इसके आलावा बीजेपी ने टीएमसी से आने वाले 30 विधायकों को टिकट दिया था लेकिन उनमें से ज्यादतर नेताओं को शिकस्त झेलनी पड़ी है।

उधर बीजेपी को चुनाव के बाद अपने कुनबे को बचाने में जुट गई है। जानकारी मिल रही है बंगाल मे चुनाव के बाद हिंसा को देखते हुए 77 विधायकों को केंद्र की ओर से सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई गई है लेकिन सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष ने सुरक्षा लेने से साफ मना कर दिया है।

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उनका तर्क है कि उनके पास सुरक्षा कर्मियों को ले कर चलने के लिये साधन नही है। घोष स्वयं दो पहिया वाहन से चलते है। इसके आलावा चंदन बाउली ने इस तामझाम से बचने का फैसला किया है और सुरक्षा नहीं लेने की बात कही है। हालांकि दोनों नेताओं ने अभी तक बीजेपी के प्रति कोई नाराजगी जाहिर नहीं की है।

दूसरी बीजेपी ने पूर्वव्रती टीएमसी नेताओ को पार्टी में रोकने के लिए बड़ा कदम तब उठाया जब टीएमसी से आये कद्दावर नेता सुवेन्दु अधिकारी को विपक्ष का नेता घोषित कर दिया। हालांकि अब भी बड़ा सवाल है क्या बंगाल में बीजेपी अपने कुनबे को बचा पायेगी या नहीं।

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