जुबिली न्यूज डेस्क
आज से सावन (श्रावण मास) की शुरुआत हो चुकी है। इस बार सावन का महीना 29 दिनों का रहेगा। सनातन धर्म में सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है, और इसी कारण यह महीना नवरात्रि जितना ही पवित्र माना जाता है।

सावन के दौरान भक्तगण व्रत, नियम, संयम और सात्त्विक जीवनशैली का पालन करते हैं। विशेष रूप से मांसाहार का त्याग करने की सलाह दी जाती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर सावन में नॉनवेज क्यों नहीं खाना चाहिए? इसके पीछे धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक कारण भी हैं। आइए जानते हैं दोनों पहलुओं को:
धार्मिक कारण: तामसिक भोजन से भटकता है मन
सावन मास शुद्धता और तपस्या का प्रतीक है। यह महीना पूरी तरह भगवान शिव की भक्ति को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार:
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मांसाहारी भोजन (नॉनवेज) को तामसिक माना गया है, जो व्यक्ति में आलस्य, क्रोध, अहंकार और अवसाद जैसे भाव उत्पन्न करता है।
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तामसिक भोजन से मन भक्ति और ध्यान से भटकने लगता है, जिससे व्यक्ति पूजा-पाठ में पूरी तरह लीन नहीं हो पाता।
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इसके अलावा, बारिश के मौसम में जीव-जंतुओं की संख्या बढ़ जाती है। ऐसे में मांसाहार करने से अहिंसा का उल्लंघन होता है, जिसे शास्त्रों में पाप कहा गया है।
वैज्ञानिक कारण: पाचन और संक्रमण का खतरा
धार्मिक कारणों के अलावा सावन में नॉनवेज न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी काफी मजबूत हैं:
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सावन जुलाई-अगस्त में आता है, जब मानसून अपने चरम पर होता है। इस मौसम में आद्रता और नमी के कारण मांस जल्दी सड़ने और संक्रमित होने लगता है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, जो मांस सामान्य दिनों में 6 घंटे ताजा रहता है, वह सावन में 3-4 घंटे में ही खराब हो सकता है।
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इस मौसम में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। नॉनवेज भोजन भारी और गरिष्ठ होता है, जो पचाने में मुश्किल होता है और पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।
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साथ ही, वायरल, डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों का भी खतरा इसी मौसम में अधिक रहता है, ऐसे में सात्त्विक और हल्का भोजन ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।
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