जुबिली स्पेशल डेस्क
भारतीय रुपया एक बार फिर निचले स्तर पर जाता हुआ दिखाई दे रहा है। सोमवार को इसकी स्थिति बेहद खराब रही और यह 89.49 रुपये प्रति डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया।
यह रुपये के लिए बेहद चिंताजनक माना जा रहा है। इसका अर्थ है कि डॉलर के मुकाबले आज रुपया सबसे अधिक कमजोर हुआ है, जिसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ना तय है।
रुपये की इस कमजोरी का असर आम लोगों की जेब पर गहराई से दिखाई देगा।
पेट्रोल-डीजल, मोबाइल, टीवी, फ्रिज, कार, दवाइयाँ और हवाई यात्रा जैसी चीज़ें महंगी होना लगभग तय माना जा रहा है। इसके अलावा शेयर बाज़ार में भी हल्की घबराहट देखने को मिली है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब वैश्विक बाज़ार पूरी तरह शांत थे, तो फिर रुपया अचानक इतनी तेजी से क्यों गिर गया? और आगे चलकर किन-किन क्षेत्रों में आपके खर्चों का बोझ बढ़ सकता है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आमतौर पर रुपया तभी तेजी से गिरता है, जब दुनिया भर के बाजारों में तनाव हो। लेकिन इस बार मामला उल्टा हैबाहर सब शांत है, फिर भी हमारा रुपया अचानक नीचे गिर गया।
CR Forex Advisors के अनुसार, इस हफ्ते रुपये की कमजोरी बाकी देशों से बिल्कुल अलग दिखाई दी।
Dollar Index स्थिर था
कच्चे तेल (क्रूड) के दाम नहीं बढ़े
दूसरे देशों की करेंसी भी सामान्य रही
इसके बावजूद भारत में डॉलर की मांग बढ़ गई और डॉलर की सप्लाई कम पड़ गई, जिससे बाजार में कमी (लिक्विडिटी गैप) बन गई।
इसके बाद एक और बड़ी बात हुई
RBI कई दिनों से 88.80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर छोटे-छोटे दखल देकर रुपये को संभाल रहा था।
लेकिन अचानक ऐसा लगा कि RBI ने पीछे हटना शुरू कर दिया।
जैसे ही रुपये ने यह स्तर तोड़ा, बाजार में अपने-आप लगने वाले स्टॉप-लॉस ऑर्डर सक्रिय हो गए और रुपया एकदम फ्री-फॉल में चला गया यानी लगातार गिरने लगा।
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