जुबिली स्पेशल डेस्क
दिल्ली-एनसीआर में लगातार हो रही बारिश ने एक बार फिर से दो बड़े शहरों – नोएडा और गुरुग्राम – की तस्वीरें बिल्कुल अलग-अलग दिखा दी हैं। मौसम विभाग ने बुधवार को भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिसके चलते कई जगह जलभराव और ट्रैफिक जाम की आशंका जताई जा रही है।
सोमवार को ही एनसीआर में करीब 100 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी। इस दौरान गुरुग्राम की मुख्य सड़कों पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया। ऑफिस से घर लौट रहे लोग घंटों जाम में फंसे रहे। यह नजारा नया नहीं है गुरुग्राम में हर साल बारिश होते ही शहर ठप हो जाता है। इस बार भी जलभराव ने शहरी प्लानिंग और विकास पर सवाल खड़े कर दिए।
क्यों अलग है नोएडा और गुरुग्राम की तस्वीर?
नोएडा का विकास 1976 में इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट एक्ट के तहत योजनाबद्ध तरीके से हुआ था। ग्रीनफील्ड मॉडल पर पूरे क्षेत्र का अधिग्रहण करके पहले से ही सड़क, सीवर, नाले, स्ट्रीट लाइट और पैदल मार्ग जैसी आधारभूत सुविधाएं तैयार की गईं।
बाद में निजी डेवलपर्स ने इन्हीं ढांचों से जुड़कर निर्माण कार्य शुरू किया। यही वजह है कि आज बारिश में भी नोएडा संभला हुआ नजर आता है।
वहीं, गुरुग्राम की कहानी बिल्कुल उलटी है। यहां विकास सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर हुआ। अलग-अलग कंपनियों ने बिखरी हुई जमीन पर अपनी-अपनी टाउनशिप खड़ी की। परिणाम यह रहा कि सड़कें अधूरी रह गईं, ड्रेनेज नेटवर्क अधूरा रहा और अवसंरचना में निरंतरता नहीं बन पाई।
भूगोल भी समस्या को बढ़ाता है। अरावली की पहाड़ियों से पानी उतरकर निचले इलाके गुरुग्राम में जम जाता है। प्राकृतिक नालों के खत्म होने और अनियोजित शहरीकरण के कारण जलभराव विकराल रूप ले लेता है।
शहरी नियोजन विशेषज्ञों का मानना है कि नोएडा की सफलता उसकी योजनाबद्ध नींव में छिपी है, जबकि गुरुग्राम अपनी जल्दबाजी और अव्यवस्थित विस्तार की सजा भुगत रहा है।