जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। संभावना है कि इस साल के अंत या उससे पहले चुनाव कराए जा सकते हैं। इसी वजह से तेजस्वी यादव अब पूरी तरह एक्टिव हो चुके हैं और इस बार महागठबंधन को जीत दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
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हाल ही में तेजस्वी यादव दिल्ली दौरे पर थे, जहां उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से बातचीत कर अपने पक्ष को मजबूती से रखा ताकि चुनाव से पहले गठबंधन से जुaड़ी सभी अड़चनों को दूर किया जा सके।
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तेजस्वी को छोटे दलों का भरपूर समर्थन मिल रहा है, लेकिन कांग्रेस अब तक उन्हें औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं कर रही है। हाल ही में महागठबंधन की एक अहम बैठक हुई जिसमें कई घटक दलों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में चुनावी तैयारियों को लेकर कोऑर्डिनेशन कमेटी के गठन का निर्णय हुआ, लेकिन तेजस्वी यादव को सीएम कैंडिडेट घोषित करने को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई।

जब तेजस्वी यादव सबसे मजबूत दावेदार हैं, तो फिर हिचक क्यों?
इस पर तेजस्वी यादव का जवाब दिलचस्प था—“थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए।” उन्होंने दावा किया कि गठबंधन के भीतर किसी भी विषय पर मतभेद नहीं हैं। लेकिन सूत्रों की मानें, तो तेजस्वी चाहते हैं कि कांग्रेस की ओर से उन्हें किसी बड़े सार्वजनिक मंच से औपचारिक रूप से सीएम फेस घोषित किया जाए।
असल में कांग्रेस की रणनीति इस बार कुछ अलग दिख रही है। वो आरजेडी की छाया से बाहर निकलकर अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को वापस पाना चाहती है। इसी के तहत कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बिहार में आगे बढ़ाने की कोशिश शुरू की है। कांग्रेस नहीं चाहती कि वह एक बार फिर सिर्फ लालू-राबड़ी परिवार की बैक सीट पर बैठकर राजनीति करे।
तेजस्वी यादव चाहे गठबंधन के सबसे लोकप्रिय नेता हों, लेकिन कांग्रेस की रणनीति फिलहाल ‘इंतजार और आंकलन’ पर आधारित है। ऐसे में सीएम फेस को लेकर स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है।
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