Saturday - 8 November 2025 - 12:11 PM

रात में AQI क्यों बढ़ जाता है? दिन में हवा हो जाती है दमघोंटू

जुबिली स्पेशल डेस्क

नई दिल्ली। सर्दियां अभी ठीक से आई भी नहीं हैं, लेकिन दिल्ली-एनसीआर का आसमान पहले ही धुएं और धुंध से भर चुका है। हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोग एक बार फिर मास्क लगाकर घरों से निकलने को मजबूर हैं। बीते कुछ दिनों में वायु गुणवत्ता (AQI) रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है।

बीते 24 घंटों में दिल्ली का अधिकतम AQI 623 दर्ज किया गया, जबकि 8 नवंबर की सुबह 7 बजे यह बढ़कर 653 तक पहुंच गया। दिलचस्प बात यह है कि दिन की तुलना में रात के समय प्रदूषण तेजी से बढ़ता दिख रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह हर सर्दी में दिखने वाला एक दोहराव वाला पैटर्न है।

रात में हवा इतनी जहरीली क्यों हो जाती है?

दिन में सूरज की गर्मी सतह के पास की हवा को ऊपर उठाती है, जिससे प्रदूषक वायुमंडल में फैल जाते हैं।
रात में जब तापमान गिरता है, तो सतह की हवा ठंडी और भारी हो जाती है। ऊपर की गर्म हवा एक ढक्कन की तरह काम करती है और नीचे के प्रदूषकों को फंसा लेती है।
इसे “तापमान उलटाव” (Temperature Inversion) कहा जाता है — यही कारण है कि रात में PM2.5, PM10, NO2 और CO जैसे प्रदूषक सतह के पास जम जाते हैं और AQI “Severe” श्रेणी में पहुंच जाता है।

धीमी हवा और स्थिर मौसम भी जिम्मेदार

सर्दियों की रातों में हवा की गति बहुत धीमी हो जाती है। हवा के ठहराव (Stagnation) के कारण प्रदूषक फैल नहीं पाते और स्थानीय स्तर पर जमा होते जाते हैं।
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति — हिमालय की तलहटी, यमुना का बेसिन और शहरी घाटी जैसी संरचना — प्रदूषकों को और अधिक फंसाने का काम करती है।

दिन की तुलना में रात में मालवाहक ट्रक और डीज़ल वाहन अधिक चलते हैं।सड़क किनारे के ढाबे, चाय स्टॉल और असंगठित उद्योग कोयला, लकड़ी और कचरा जलाकर काम जारी रखते हैं।कई निर्माण स्थलों पर भी रात में काम चलता रहता है, जिससे धूल और डीज़ल जेनरेटर प्रदूषण बढ़ाते हैं।

पंजाब-हरियाणा से आने वाला पराली का धुआं ठंडी और स्थिर हवा में फंस जाता है, जिससे AQI और बिगड़ जाता है।

नमी और रासायनिक प्रतिक्रियाएं बढ़ाती हैं खतरा

रात में वातावरण में नमी बढ़ती है। यह नमी PM2.5 कणों के चारों ओर पानी की परत बनाती है, जिससे वे बड़े और अधिक घने हो जाते हैं। इसके अलावा, NOx, SO2 और VOCs की रासायनिक क्रियाओं से अमोनियम नाइट्रेट और सल्फेट जैसे कण बनते हैं, जो हवा को और जहरीला कर देते हैं।

क्यों सर्दियों में स्थिति ज्यादा खराब होती है?

सर्दियों में हवा की “मिक्सिंग हाइट” घटकर सिर्फ 200–400 मीटर रह जाती है, जबकि गर्मियों में यह 1000–2000 मीटर तक होती है।
इससे ठंडी रातों में प्रदूषक सतह के पास ही फंसे रहते हैं और AQI लगातार बिगड़ता जाता है।

दूसरे शहरों में भी अलग पैटर्न

उत्तर भारत की तरह देहरादून और शिलांग जैसी घाटियों में भी रात में इनवर्ज़न स्ट्रॉन्ग होता है।
वहीं, चेन्नई और विशाखापट्टनम जैसे तटीय शहरों में समुद्री ब्रीज़ के कारण स्थिति इतनी गंभीर नहीं बनती, लेकिन स्थानीय उत्सर्जन से वहां भी AQI बढ़ सकता है।

क्या किया जा सकता है?

  • भारी वाहनों के प्रवेश पर सख़्त निगरानी और समय सीमा तय हो।
  • निर्माण स्थलों पर रात में धूल रोकने के उपाय — एंटी-स्मॉग गन, ढकाव और व्हील-वॉश की व्यवस्था।
  • कोयला व कचरा जलाने पर सख्त कार्रवाई और एलपीजी/पीएनजी की सुलभता बढ़ाई जाए।
  • डीजल जेनरेटर की जगह गैस या बैटरी आधारित विकल्प अपनाए जाएं।
  • छोटे उद्योगों के लिए फिल्टरिंग सिस्टम, स्क्रबर और रियल-टाइम मॉनिटरिंग अनिवार्य की जाए।
  • डेटा आधारित नियंत्रण नीति से रात और सुबह के संवेदनशील समय में प्रदूषण घटाने पर फोकस हो।

रात में AQI का बढ़ना किसी एक वजह का नतीजा नहीं, बल्किवायुमंडलीय, स्थानीय और मौसमी कारकों का संयुक्त प्रभाव है। दिल्ली-एनसीआर में यह पैटर्न हर साल सर्दियों में दोहराया जाता है। अगर शहरों को राहत देनी है तो रात के समय के लिए लक्षित रणनीति और स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण अब अनिवार्य हो चुका है।

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