जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मुस्लिम नागरिक इस्लामुद्दीन अंसारी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) संजीव त्यागी को अपना वॉयस सैंपल देने का निर्देश दिया है। यह मामला उस ऑडियो क्लिप से जुड़ा है जिसमें मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक और सांप्रदायिक टिप्पणी सुनाई दे रही है। याचिकाकर्ता का दावा है कि ऑडियो क्लिप में सुनाई देने वाली आवाज DIG संजीव त्यागी की है।

SC का सख्त रुख—“न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग”
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि इस्लामुद्दीन अंसारी पर दर्ज FIR और आपराधिक कार्रवाई
“पूरी तरह पुलिस अधिकार और न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग” है।
कोर्ट ने कहा कि:
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याचिकाकर्ता सिर्फ यह पूछने गए थे कि ऑडियो में आवाज DIG की है या नहीं
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पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टा उन्हीं पर मामला दर्ज कर दिया
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यूपी सरकार ने खुद बाद में मामला वापस लेने की मांग की
DIG को तेलंगाना की लैब में भेजना होगा वॉयस सैंपल
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि:
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DIG संजीव त्यागी अपना वॉयस सैंपल तेलंगाना की स्टेट फॉरेंसिक लैब में दें
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सैंपल की वैज्ञानिक जांच के बाद ऑडियो क्लिप की सत्यता पता चलेगी
कोर्ट ने यूपी पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए पूछा:
“शिकायत मिलने के बाद भी अब तक ऑडियो की पुष्टि क्यों नहीं की गई?”
ऑडियो क्लिप भेजना पड़ा भारी—इस्लामुद्दीन पर ही केस दर्ज
लाइव लॉ के अनुसार यह मामला कोविड महामारी के समय का है, जब संजीव त्यागी बिजनौर के SP थे। इस्लामुद्दीन ने:
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ऑडियो क्लिप त्यागी को भेजकर पूछा—क्या यह उनकी आवाज है?
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यह भी बताया कि क्लिप में मुसलमानों के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक भाषा है
लेकिन जवाब आने की जगह:
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इस्लामुद्दीन के खिलाफ IPC 505 (अफवाह फैलाना) और IT Act 67 के तहत पुलिस ने FIR दर्ज कर दी
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आरोप लगाया गया कि उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने के इरादे से अफवाह फैलाई
चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 2021 में आरोप पत्र पर संज्ञान भी ले लिया था।
हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पीड़ित
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस्लामुद्दीन की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बीते सप्ताह सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने:
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यूपी सरकार से सख्त सवाल पूछे
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पुलिस की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई
आज की सुनवाई में राज्य सरकार ने बताया कि उसने इस्लामुद्दीन के खिलाफ केस वापस लेने की याचिका दायर कर दी है।
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SC: “इस तरह FIR दर्ज करना कानून का उल्लंघन”
जस्टिस अमानुल्लाह ने टिप्पणी की: “इस तरह FIR दर्ज करना कानून के अधिकार का उल्लंघन है। पुलिस को यह स्पष्ट करना चाहिए था कि ऑडियो की जांच क्यों नहीं हुई।”
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