जुबिली न्यूज डेस्क
पटना की गलियों में रहने वाली 23 साल की शिल्पी जैन का सपना था कि वह आगे बढ़े, नाम कमाए। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने “मिस पटना” का खिताब भी जीता था। उनकी मुस्कान और आत्मविश्वास से लोग उन्हें पहचानते थे। पिता उज्जवल जैन शहर के नामी कपड़ा व्यापारी थे और बेटी पर गर्व करते थे। लेकिन कौन जानता था कि इसी चमकती मुस्कान को बिहार की राजनीति का सबसे डरावना अध्याय निगल लेगा।
3 जुलाई 1999 की सुबह
पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में एक सरकारी क्वार्टर के बाहर खड़ी एक सफेद मारुति कार लोगों की नज़र में आई। जब कार का दरवाज़ा खोला गया तो अंदर का नज़ारा देखने वालों के होश उड़ा गया।
कार की पिछली सीट पर एक लड़की और एक युवक अधमरे हाल में पड़े मिले। कुछ ही देर बाद दोनों की मौत की पुष्टि हो गई। लड़की शिल्पी जैन थीं और युवक गौतम सिंह, जो एक संपन्न परिवार का बेटा था।
रहस्य और सवाल
शुरुआत में पुलिस ने कहा – “ये दोनों प्रेमी थे और आत्महत्या कर ली।”
लेकिन मामला इतना सीधा नहीं था।
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पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ़ हुआ कि गौतम के शरीर पर चोटों के गहरे निशान थे, जैसे उसे पीटा गया हो।
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शिल्पी के कपड़ों पर सीमन के दाग मिले और डॉक्टरों ने बलात्कार की आशंका जताई।
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दोनों के शव अधनंगे हालत में क्यों थे? अगर आत्महत्या थी, तो यह सब कैसे हुआ?
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सबसे बड़ा सवाल – जिस कार में शव मिले, वो विधायक क्वार्टर से जुड़ी क्यों थी?
सियासत का साया
तभी इस केस में एक बड़ा नाम उभरा – साधु यादव, जो उस समय बेहद ताकतवर थे।शिल्पी के परिवार ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी का इस्तेमाल नेताओं की हवस ने किया और सच को दबाने के लिए दोनों की हत्या कर दी गई।
DNA टेस्ट की मांग हुई, लेकिन साधु यादव ने नमूना देने से साफ इंकार कर दिया।पुलिस ने कार को थाने लाते समय खुद चलाकर सबूत मिटा दिए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने से पहले ही इसे “आत्महत्या” करार दे दिया गया।
CBI की एंट्री
मामला इतना गर्माया कि इसे CBI को सौंपा गया। लेकिन वर्षों की जांच के बाद भी CBI ने केस को “आत्महत्या” बताकर बंद कर दिया।
यह फैसला आज तक विवादों में है। परिवार ने कहा – “हमारी बेटी के साथ न्याय नहीं हुआ। सत्ता ने सबूत दबा दिए।”
लोग आज भी मानते हैं कि यह बिहार का सबसे बड़ा रेप-मर्डर कवरअप केस था।
और अब… राजनीति में वापसी
आज लगभग 25 साल बाद यह केस फिर सुर्खियों में है। प्रशांत किशोर (PK) ने एक सभा में इस मामले का ज़िक्र किया और सम्राट चौधरी का नाम जोड़ते हुए कहा कि इस कांड की जड़ें उनसे भी जुड़ी हैं। हालांकि अब तक इस दावे का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया, लेकिन सियासत में यह मुद्दा फिर से जिंदा हो गया है।
अनसुलझा रहस्य
शिल्पी और गौतम की मौत आत्महत्या थी या हत्या — यह आज तक राज़ है। लेकिन एक बात तय है – 23 साल की उस मासूम लड़की की मौत ने बिहार की राजनीति को हिला दिया था।
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आज भी जब इस केस का नाम लिया जाता है, तो लोगों की आंखों के सामने एक ही तस्वीर आती है – एक मुस्कुराती हुई लड़की, जिसकी ज़िंदगी और सपनों को सत्ता और अपराध की साजिश ने बेरहमी से कुचल दिया।