जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी), आईपीएस प्रशांत क्ऊमार शनिवार यानी 31 मई को सेवानिवृत्त हो गए। अब उनके स्थान पर उप्र पुलिस के पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी)के रूप में 1991 बैच के आइपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण की नियुक्ति की गई। देर शाम उनके नाम का ऐलान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किया है।
हालांकि ऐसी चर्चा थी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिलहाल कोई बड़ा फैसला नहीं लेंगे और प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार दिए जाने पर विचार कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और 1991 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी राजीव कृष्ण को राज्य का नया पुलिस महानिदेशक (DGP) कार्यवाहक नियुक्त किया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डीजीपी के चयन को लेकर पोस्ट किया है. अखिलेश ने X पर लिखा, यूपी को मिला एक और कार्यवाहक डीजीपी! आज जाते-जाते वो जरूर सोच रहे होंगे कि उन्हें क्या मिला, जो हर गलत को सही साबित करते रहे। यदि व्यक्ति की जगह संविधान और विधान के प्रति निष्ठावान रहते तो कम-से-कम अपनी निगाह में तो सम्मान पाते।
अब देखना ये है कि वो जो जंजाल पूरे प्रदेश में बुनकर गए हैं, नए वाले उससे मुक्त होकर निष्पक्ष रूप से न्याय कर पाते हैं या फिर उसी जाल के मायाजाल में फंसकर ये भी सियासत का शिकार होकर रह जाते हैं. दिल्ली-लखनऊ की लड़ाई का खामियाजा उप्र की जनता और बदहाल क़ानून-व्यवस्था क्यों झेले? जब ‘डबल इंजन’ मिलकर एक अधिकारी नहीं चुन सकते तो भला देश-प्रदेश क्या चलाएंगे।
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IPS राजीव कृष्ण : प्रोफ़ाइल और करियर
- नाम: राजीव कृष्ण
- जन्म तिथि: 26 जून 1969
- शैक्षणिक योग्यता: बी.ई. (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन)
- गृह जनपद: गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
- सेवा में प्रवेश: 15 सितंबर 1991
राजीव कृष्ण ने अपने करियर की शुरुआत बरेली, कानपुर और अलीगढ़ में अपर पुलिस अधीक्षक के रूप में की थी। इसके बाद वे फिरोजाबाद, एटा, मथुरा, बुलंदशहर, नोएडा, आगरा, लखनऊ और बरेली में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) के पदों पर कार्यरत रहे। 2007 में उत्तर प्रदेश एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) के गठन के समय वे इसके पहले डीआईजी बने और आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मेरठ रेंज के आईजी और लखनऊ तथा आगरा जोन के एडीजी के रूप में भी कार्य किया है।
प्रमुख उपलब्धियाँ
2004 में आगरा में एसएसपी रहते हुए उन्होंने अपहरण गिरोहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की, जिससे उनकी पहचान एक सख्त और प्रभावी अधिकारी के रूप में बनी।
2024 में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक के बाद, उन्होंने भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में परीक्षा को सफलतापूर्वक पुनः आयोजित कराया, जिससे सरकार की साख बहाल हुई। उन्होंने “ऑपरेशन पहचान”, ई-मालखाना और साइबर अपराध जागरूकता जैसे तकनीकी नवाचारों को लागू किया।
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