जुबिली न्यूज डेस्क
लेह। लेह-लद्दाख में बुधवार को भड़की हिंसा ने हालात को तनावपूर्ण बना दिया है। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ़्तर और CRPF की गाड़ियों में आग लगा दी, जिसके बाद सुरक्षाबलों और भीड़ में सीधी झड़प हुई। हिंसा के दौरान गोली चलाने के आदेश पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।
गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक को ठहराया जिम्मेदार
केंद्र सरकार के अधिकारियों और गृह मंत्रालय का मानना है कि सोनम वांगचुक की वजह से ही हालात बिगड़े। मंत्रालय का कहना है कि कई नेताओं ने उनसे भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मंत्रालय का यह भी आरोप है कि वांगचुक ने लोगों को भड़काने के लिए अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन-जी विरोध प्रदर्शनों का हवाला दिया। हालांकि, अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
गुलाम मुस्तफा की आपत्ति: “गोली चलाने का आदेश किसने दिया?”
लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के कानूनी सलाहकार हाजी गुलाम मुस्तफा ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा –
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“हमारा आंदोलन पिछले 5 साल से शांतिपूर्ण रहा है। सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हुई।”
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“यह समझ से बाहर है कि गोली चलाने का आदेश किसने दिया। जिसने भी गोली चलाई, उस पर हत्या का केस होना चाहिए।”
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“लद्दाख एक शांतिपूर्ण इलाका है। हम नहीं चाहते कि इसे हिंसा से जोड़ा जाए।”
हालांकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की भी निंदा की।
किन मांगों को लेकर हुआ प्रदर्शन?
लेह में प्रदर्शनकारियों की 4 बड़ी मांगें थीं:
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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।
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6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा।
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लेह और कारगिल – दो अलग लोकसभा सीट।
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सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों की भर्ती।
इन्हीं मांगों को लेकर सोनम वांगचुक 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
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प्रशासन का एक्शन: मार्च-रैली पर बैन
हिंसा के बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए:
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लेह में बिना अनुमति किसी भी रैली और प्रदर्शन पर रोक लगा दी।
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जिले में 5 या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाया गया।
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भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 लागू कर दी गई है।
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लेह शहर में बाजार बंद हैं और सड़कों पर जली हुई गाड़ियां हालात की गवाही दे रही हैं।