जुबिली स्पेशल डेस्क
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब इस दिशा में बड़ा अपडेट सामने आया है।
बताया जा रहा है कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र के समापन के बाद और बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है।
इस बदलाव के पीछे दो प्रमुख कारण माने जा रहे हैं- एक ओर पार्टी बिहार चुनाव जैसी अहम राजनीतिक चुनौती का सामना कर रही है, वहीं दूसरी ओर पूरे देश में संगठनात्मक ढांचे को और मज़बूत करने की तैयारी चल रही है।

कौन हो सकता है अगला अध्यक्ष?
- पार्टी के अंदरूनी हलकों में जिन नेताओं के नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, उनमें ये प्रमुख चेहरे शामिल हैं:
- धर्मेंद्र प्रधान: ओडिशा से आने वाले ओबीसी नेता, जो अपनी संगठनात्मक क्षमता और केंद्रीय नेतृत्व से करीबी रिश्तों के लिए जाने जाते हैं।
- भूपेंद्र यादव: संगठन के माहिर खिलाड़ी, आरएसएस से गहरे जुड़े हुए हैं और पीएम मोदी तथा अमित शाह के विश्वासपात्र माने जाते हैं। बिहार, यूपी, एमपी और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में चुनावी रणनीति में सफलता दिला चुके हैं।
- शिवराज सिंह चौहान: जमीनी अनुभव रखने वाले जननेता, जो लंबे समय तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं।
- मनोहर लाल खट्टर: प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ निरंतरता का प्रतीक माने जाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी की अंतिम पसंद तय करते वक्त संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जातीय संतुलन जैसे कारकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
जेपी नड्डा का कार्यकाल और विस्तार
जेपी नड्डा जनवरी 2020 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। उनका मूल कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए उन्हें जून 2024 तक कार्यकाल विस्तार दिया गया। चुनावों में एनडीए की जीत के बाद नड्डा को तीसरे कार्यकाल वाली मोदी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य और उर्वरक मंत्री बनाया गया।
अब, जब उनका पार्टी अध्यक्ष के तौर पर विस्तारित कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है, तो नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
सूत्र बताते हैं कि पार्टी संगठन में देरी का एक प्रमुख कारण उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा है। इसके बाद बीजेपी का पूरा ध्यान नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर केंद्रित हो गया, जिससे संगठनात्मक बदलाव फिलहाल टल गए।
बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
- BJP के संविधान की धारा-19 के अनुसार:
- इलेक्टोरल कॉलेज यानी राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषदों के सदस्य मिलकर अध्यक्ष का चुनाव करते हैं।
- उम्मीदवार के पास पार्टी की 15 साल की प्राथमिक सदस्यता होनी चाहिए।
- कम से कम 20 प्रस्तावक होने चाहिए, जो 5 अलग-अलग राज्यों से हों।
- चुनाव में वोटिंग और बैलेट बॉक्स की काउंटिंग दिल्ली में होती है।
- धारा-20 के अनुसार, कोई भी सदस्य लगातार दो कार्यकाल, यानी अधिकतम 6 साल तक अध्यक्ष रह सकता है।
पार्टी सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरएसएस की सहमति नए अध्यक्ष के चयन में अहम मानी जाती है। संघ फिलहाल किसी एक नाम पर स्पष्ट संकेत नहीं दे रहा है, लेकिन उसकी प्राथमिकता है कि संगठन को मज़बूती देने वाला कड़ा, अनुभवी और अनुशासित नेता अध्यक्ष बने।