Thursday - 11 January 2024 - 7:05 PM

पिछले पांच साल में यूपी, पंजाब में क्या रहा रोजगार का हाल?

जुबिली न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश हो या पंजाब, उत्तराखंड हो या गोवा, हर राज्य की सरकार रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है। सरकारों का कहना है कि उनके कार्यकाल में लाखों लोगों को नौकरी मिली है।

लेकिन सरकारों के दावों और हकीकत में खासा फर्क है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में दिसंबर 2021 के अंत तक रोजगार पाने वालों की कुल संख्या पांच साल पहले की तुलना में कम रही।

मालूम हो कि अगले महीने फरवरी में चुनाव का सामना करने वाले पांचवें राज्य मणिपुर को सेकर सीएमआईई के पास कोई डेटा नहीं था।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) भारत की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था है। सीएमआईई के अनुसार उत्तर प्रदेश में पिछले पांच सालों में कुल कामकाजी उम्र की आबादी 14.95 करोड़ से 14 फीसदी (2.12 करोड़) बढ़कर 17.07 करोड़ हो गई है। नौकरियों वाले लोगों की कुल संख्या में 16 लाख तक की कमी आई है।

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वहीं रोजगार दर दिसंबर 2016 में 38.5 प्रतिशत से गिरकर दिसंबर 2021 में 32.8 प्रतिशत हो गई है। इस गिरावट को ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश में दिसंबर 2021 में उतनी ही रोजगार दर होती जितनी दिसंबर 2016 में थी, तो इसके अतिरिक्त 1 करोड़ निवासियों के पास आज नौकरी होती।

क्या है पंजाब का हाल

ऐसा ही कुछ हाल पंजाब में भी है। पांच साल पहले पंजाब में 2.33 करोड़ रोजगार पाने योग्य उम्र की आबादी में से 98.37 लाख से अधिक के पास रोजगार था।

वहीं यह आबादी लगभग 11 फीसदी बढ़कर 2.58 करोड़ होने के बाद अब कुल रोजगार युक्त लोग 95.16 लाख (3.21 लाख कम) रह गए हैं।

वहीं उत्तराखंड में पिछले 5 वर्षों में कार्यरत लोगों की संख्या लगभग 14 प्रतिशत या 4.41 लाख घटकर 27.82 लाख रह गई है। इस स्थिति में कामकाजी उम्र की आबादी लगभग 14 प्रतिशत बढ़कर 91 लाख हो गई है।

दिसंबर 2021 में राज्य की रोजगार दर गिरकर 30.43 फीसदी पाई गई, जबकि दिसंबर 2016 में यह 40.1 फीसदी थी।

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गोवा में क्या है रोजगार दर

यदि गोवा की बात करें तो यहां पिछले पांच सालों में रोजगार की दर में सबसे तेज गिरावट देखने को मिली है। यह दिसंबर 2016 में 50 फीसदी थी जो अब 32 प्रतिशत से नीचे आ गया है। मतलब यह हुआ कि पांच साल पहले गोवा की कामकाजी उम्र की आबादी में हर दूसरे व्यक्ति के पास नौकरी थी, लेकिन अब यह अनुपात गिरकर तीन में से एक हो गया है।

आंकड़ों पर गौर करें तो जहां भारत की कुल कामकाजी उम्र की आबादी 12.5 फीसदी से बढ़कर 96 करोड़ से 108 करोड़ हो गई है, वहीं रोजगार पाने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 2 फीसदी 41.2 करोड़ से घटकर 40.4 करोड़ हो गई है।

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