जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश की कांवड़ यात्रा को लेकर लगातार विवाद देखने को मिल रहा है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कांवड़ रूट पर पडऩे वाली दुकानों पर मालिक का असली नाम लगाने के लिए सरकार ने फरमान जारी किया।
इसके बाद योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई। योगी सरकार के इस फैसले पर केंद्र के कई मंत्री भी इसकी खुलकर आलोचना कर चुके हैं। इसको लेकर लगातार हंगामा देखने को मिल रहा है।सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस आदेश पर रोक लगाई है।
इतना ही नहीं देश की शीर्ष अदालत में यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर शुक्रवार (26 जुलाई) को सुनवाई हुई लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने फ़िलहाल राहत नहीं दी और यूपी सरकार के नेमप्लेट लगाने के निर्देश पर रोक लगाने का फैसला बरकरार रखा और कहा कि अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
इस मामले पर सुनवाई हुई तो कोर्ट को कहा गया कि केवल अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने जवाब दाखिल किया है जबकि उत्तराखंड सरकार की तरफ से समय मांगा गया है। अदालत ने पूछा कि मध्य प्रदेश की तरफ से कौन है। एमपी के वकील ने कहा कि हम भी जवाब दाखिल करेंगे, लेकिन हमारे यहां कोई घटना नहीं हुई है। उज्जैन नगरपालिका ने कोई आदेश भी नहीं पारित किया है। दिल्ली के वकील ने कहा कि हमने कांवड़ मार्गों पर नेमप्लेट लगाने को लेकर कोई आदेश पारित नहीं किया है।
यूपी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश पर एकतरफा रोक लगा दी गई है। इस मामले पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए, नहीं तो यात्रा पूरी हो जाएगी।
याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 60 साल से यह आदेश नहीं आया था. अगर इस साल लागू नहीं हो पाया तो कुछ नहीं बिगड़ जाएगा। कुल मिलाकर कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार को कोई राहत नहीं मिली है।
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