जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। बीते कुछ महीनों से मुफ्त सुविधाएं देने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई है। इस दौरान देश की शीर्ष अदालत ने कहा है कि गरीबी के दलदल में फंसे इंसान के लिए मुफ्त सुविधाएं और चीजें देने वाली स्कीमें महत्वपूर्ण हैं।
सवाल यह है कि इस बात का फैसला कौन लेना कि क्या चीज मुफ्तखोरी के दायरे में आती है और किसे जनकल्याण माना जाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को इस मामले में अतिरिक्त शक्ति नहीं दे सकते।

अदालत ने कल भी इस मामले पर सुनवाई करने की बात कही है। अदालत ने कहा कि मुफ्त उपहार एक अहम मुद्दा है और इस पर बहस किए जाने की जरूरत है।
CJI एनवी रमना ने कहा, ‘मान लीजिए कि अगर केंद्र सरकार ऐसा कानून बनाती है जिसके तहत राज्यों को मुफ्त उपहार देने पर रोक लगा दी जाती है, तो क्या हम यह कह सकते हैं कि ऐसा कानून न्यायिक जांच के लिए नहीं आएगा। ऐसे में हम देश के कल्याण के लिए इस मामले को सुन रहे हैं।’
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