
न्यूज डेस्क
राजनीति में न तो दुश्मनी स्थायी होती है और न दोस्ती। सारा खेल सत्ता का होता है। जब सत्ता की बात आती तो दुश्मन भी दोस्त बन जाता है। ऐसा ही कुछ हरियाणा की राजनीति में हो रहा है। चुनावों में पानी पी-पी कर कोसने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) अब बीजेपी के साथ गलबहिया करने के लिए तैयार है।
वहीं जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नेता दुष्यंत चौटाला ने 25 अक्टूबर को कहा कि उनके लिए न तो भाजपा और न ही कांग्रेस अछूत है और वह उनके संगठन के साझा न्यूनतम कार्यक्रम से सहमत होने वाली किसी भी पार्टी का समर्थन करेंगे। उनका कहना है कि हमारे पास दोनों विकल्प खुले हैं।
मालूम हो कि हरियाणा में अपने पहले पहले ही चुनाव में दस सीटों और पंद्रह फीसदी वोट शेयर के साथ जेजेपी ने मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। चौटाला ने 10 विधायकों वाले जेजेपी विधायक दल की एक बैठक के बाद भले ही अपने मुंह से अब तक नहीं कहा है कि वह बीजेपी को समर्थन करेंगे।
तिहाड़ जेल में अपने पिता से मुलाकात करने के बाद दुष्यंत चौटाला ने भाजपा या कांग्रेस को समर्थन देने के सवाल पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनके दरवाजे सबके लिए खुले हैं और उनके लिए कांग्रेस और भाजपा में से कोई अछूत नहीं है, लेकिन देर रात सारा मामला बदल गया। कांग्रेस अछूत हो गई और भाजपा प्रिय बन गई।
उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए कोई भी अछूत नहीं है। जो कोई भी पार्टी हमारे न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल एजेंडे को लागू करने के लिए तैयार होगी, हम उसका समर्थन करेंगे।’
चौटाला, जेजेपी विधायक दल के नेता चुने गए हैं। दुष्यंत ने भाजपा के साथ या कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के मुद्दे पर कहा, ‘प्रदेश के अंदर कैसे आगे बढ़ा जाए, किस विषय को लेकर आगामी कदम उठाया जाए, इस पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ चर्चा हुई. जननायक जनता पार्टी के एजेंडे को जो दल सपोर्ट करेगा हम उसके साथ जाएंगे. प्रदेश के अंदर 75 फीसदी हरियाणवी रोजगार अधिकार, वृद्धावस्था पेंशन इन विषयों पर जो भी दल सहमत होगा, पार्टी उसके साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रयास करेगी।’
दुष्यंत ने कहा, ‘मतदान करने वाली आबादी का 56 फीसदी युवा था. अधिकतम युवाओं की ताकत हमको मिली है. 75 फीसदी युवाओं को रोजगार के दायरे में लाना हमारी प्राथमिकता है. हमने अभी तक सरकार बनाने पर किसी से बात नहीं की है। अब हम सबसे बात करेंगे, कुछ घंटे या कुछ दिन में पता चल जाएगा।’
भाजपा के खिलाफ चुनाव लडऩे के सवाल पर चौटाला ने कहा, मैंने कांग्रेस के साथ भी मिलकर चुनाव नहीं लड़ा। हमारे लिए कोई अछूत नहीं है। हमारे देवेंद्र बबली जी 52 हजार वोटों से, रामचरण काला ने 38 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। हमारी पार्टी ने कांग्रेस के दिग्गजों को हराया है तो भाजपा के दिग्गजों को भी मात दी है।’
उन्होंने कहा, ‘हम त्याग करके भी वृद्धावस्था पेंशन में बढ़ोतरी करा पाए, रोजगार दिला पाए तो हमारे किसी साथी को इससे इनकार नहीं है। सत्ता की चाभी आज भी हमारे पास है। अगर प्रदेश में स्थिर सरकार चाहिए तो हमारे बिना यह संभव नहीं है। अगर जोड़-तोड़ से सरकार बन सकती है तो शुभकामनाएं।’
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