न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हुए दिल दहला देने वाले नरसंहार का पहला वीडियो सामने आया है, जिसमें लोगों की चीख पुकार और दनादन चलती गोलियों की आवाज सुनाई दे रही है। वीडियो में सैकड़ों लोग लाठी डंडों के साथ खड़े दिख रहे हैं। अभी तक सिर्फ चश्मदीद ही घटना के बारे में बता रहे थे, इससे पहले घटना का ऐसा कोई भी वीडियो सामने नहीं आया था। लेकिन अब वीडियो सामने आने के बाद लगभग पूरी खौफनाक कहानी सामने आ चुकी है।
#सोनभद्र_नरसंहार का वीडियो आया सामने, घटना के दिन प्रधान यज्ञदत्त करीब 30 ट्रैक्टर से अपने लोगों के साथ पहुंचा था। ग्रामीणों के साथ हुआ था संघर्ष, फिर गोलियां चलाई थीं गोलियां।। @Uppolice @sonbhadrapolice @shuklapinku @Bhaiyajispeaks @navalkant #viralvideo @UPPViralCheck pic.twitter.com/FCG2caurK3
— Praveensingh rajpoot (@PraveensinghJNP) July 22, 2019
विवादित जमीन को लेकर हुए इस खूनी संघर्ष में10 आदिवासियों की जान चली गई थी। वहीं 20 से ज्यादा लोग इस घटना में घायल हुए थे। वीडियो में भी देखा जा सकता है कि एक तरफ सैकड़ों लोगों का झुंड लाठी-डंडों के साथ खड़ा है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण अपनी जान बचाकर भागते दिख रहे हैं।
वीडियो सामने आने के बाद घटना के पूरे मंजर को साफ देखा जा सकता है कि कैसे गोली लगने के बाद लोग जमीन पर पड़े हैं, वहीं कुछ घायल आदिवासी खून से लथपथ जमीन पर तड़प रहे हैं। वीडियो में एक शख्स पूछ रहा है कि किसने गोली मारी तो वहां मौजूद लोग किसी नीरज और मुन्ना का नाम ले रहे हैं।
वहीं, जब घायल लोगों से पूछा जा रहा है कि जब गोली चल रही थी तो आप भागे क्यों नहीं। तो घायल बता रहे हैं कि उन लोगों ने हमारे सामने आते ही सीधे गोली चला दी। वीडियो में घटना के तुरंत बाद होने वाली चीख-पुकार भी सुनाई दे रही है।
गौरतलब है कि सोनभद्र की घटना ने पूरे देश को हिला दिया। विपक्षी नेताओं के अलावा खुद पीड़ितों और उनके परिजनों ने योगी सरकार और प्रशासन की लापरवाही का आरोप लगाया। मिर्जापुर में प्रियंका गांधी से मिलने पहुंचे पीड़ितों के परजिनों ने बताया कि उनसे हॉस्पिटल में इलाज से पहले बेडशीट तक के पैसे मांगे गए।

वहीं, उन्होने पुलिस प्रशासन पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस को सुबह ही ऐसी घटना होने के बारे में बता दिया गया था। लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ भी होने से साफ इनकार कर दिया। घटना होने के लगभग डेढ़ घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची। लेकिन तब तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके थे।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के इस आदिवासी इलाके में राजस्व अधिकारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी की पड़ताल करने पर पता चला कि हाल के दिनों में सोनभद्र भ्रष्ट नौकरशाहों, राजनेताओं और माफिया डॉन का अड्डा बन गया है जो औने-पौने दाम में जमीन खरीदते हैं।
तहसील के उम्भा गाँव में जहाँ बुधवार को नरसंहार की वारदात हुई, वहाँ से महज कुछ सौ गज की दूरी पर स्थित विशंब्री गाँव में 600 बीघे का बड़ा भूखंड उत्तर प्रदेश सरकार के चकबंदी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हड़प रखा है।
इस मामले में सोनभद्र स्थित जिला अदालत में वकालत करने वाले जानेमाने वकील विकाश शाक्य ने बताया कि आदिवासी मेरे पास आए और उन्होंने मुझे इस रैकेट से निजात दिलाने के लिए मुकदमा दर्ज करने को कहा।
दूसरी ओर अदालत के निर्देश पर की गई जांच में खुलासा हुआ कि चकबंदी अधिकारियों ने राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी की थी। जहां जमीन का मालिक मृत व्यक्ति को बताया गया था। जमीन के असली मालिक को अदालत में पेश करने पर साजिश की पोल खुल गई और उसके बाद चकबंदी विभाग के 27 अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
शाक्य ने जमीन की धोखाधड़ी के एक और मामले का जिक्र किया जिसमें राजमार्ग (अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्टरी के समीप) स्थित 14 बीघा जमीन के रिकॉर्ड में कानूनगो ने हेराफेरी की है। शाक्य के अनुसार, कानूनगो ने राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करके जमीन का पंजीकरण (विगत तारीख में) अपने दो बेटों के नाम कर लिया, जबकि पंजीकरण के समय उनके ये दोनों बेटे पैदा भी नहीं हुए थे।
विडंबना है कि जिन अधिकारियों को आदिवासियों के पक्ष में वन अधिकार अधिनियम और सर्वेक्षण निपटान पर अमल करने की जिम्मेदारी थी वे वर्षो तक गरीब किसानों को धोखा देते रहे। आज भी आदिवासियों की जमीन और उनसे जुड़े कानून पेचीदा हैं।
आँकड़ों की यदि बात करें तो भारत में आज भी करीब 30 करोड़ से ज्यादा लोग जंगलों में जीवन-यापन करने वाले हैं। इनमें से मात्र साढ़े चार करोड़ लोगों द्वारा ही जमीन और संपत्ति अपने नाम पर की गई है। प्राकृतिक सम्पदा और अपने आर्थिक हितों के कारण ये लोग आधे से ज्यादा जनजातीय हिस्सों में बसते हैं या फिर आदिवासी तरीकों से अपना जीवनयापन करते आए हैं। इनमे से अधिकतर जमीन या तो भर्ती वन अधिनियम (Indian Forest Act, 1927) के तहत संरक्षित हैं या फिर अभी भी अवर्गीकृत हैं।
मुख्यधारा से ये लोग आज भी इतने कटे हुए हैं कि इन्हें सरकारी उपक्रमों, नियम कानून और किसी संवैधानिक संरचना के बारे में शायद ही कोई विशेष जानकारी हो। इसी बात का फायदा बाहर से आने वाले पूँजीपति और नौकरशाह आसानी से उठा लेते हैं। ये जमीनें या तो प्राकृतिक सम्पदा से संपन्न होती हैं या फिर इन पर भविष्य में उद्योग लगाने के नजरिए से इन पर अधिकार जमा लिया जाता है।
हालांकि, सोनभद्र प्रकरण ने हर उस अफसर के कान जरूर खड़े कर दिए होंगे जो इस प्रकार के किसी भी धंधे में संलिप्त रहा है और इस सरकारी तंत्र और उसकी नीतियों में मौजूद कमियों का फायदा उठाते आ रहे हैं। देखा जाए तो सोनभद्र प्रकरण से उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरा देश एक सबक ले सकता है और तुरंत इस मामले में उचित कार्रवाई करते हुए कमजोर कड़ियों, चाहे वो नियम-कानून हों या फिर सरकारी तंत्र हों, पर संज्ञान लेते हुए कुछ ऐतिहासिक कदम उठाएँ।
भूदान आंदोलन का गवाह हमारा यह देश आज भू-माफियाओं के चंगुल में है और शायद ही कोई सरकार इस बात से अनजान हो। यही समय है कि देश का शासन-प्रशासन इस मामले पर अपनी नींद तोड़कर आवश्यक कार्रवाई करे ताकि भविष्य में इस प्रकार की किसी दुर्घटना से बचा जा सके।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
