जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की तैयारी अब अंतिम दौर में पहुंच गई है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं। हालांकि ये तो आने वाला वक्त बतायेगा कि यूपी में किसकी बनेगी सरकार।
योगी सरकार सत्ता में फिर लौटेंगी या फिर अखिलेश यादव इस बार बड़ा उलटफेर करेंगे। अखिलेश यादव ने बीजेपी को रोकने के लिए छोटे दलों का सहारा लिया है और छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बीजेपी को हराने का दावा कर रहे हैं लेकिन बीजेपी भी उनके कुनबे मे सेंध लगाने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है।
हालांकि इस बार अखिलेश यादव को अपने चाचा शिवपाल यादव से पूरा समर्थन मिल रहा है। भले ही इस चुनाव में शिवपाल यादव की अपनी पार्टी हो लेकिन वो चुनाव सपा से लड़ेगे।

हालांकि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने भले ही सपा के साथ हाथ मिलाया हो लेकिन वो इस गठबंधन से कोई खास खुश नजर नहीं आ रहे हैं और आखिरकार जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के मलाजनी स्थित एक होटल में कुछ कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में उनका दर्द बाहर आ गया है। उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी कुर्बान कर दी, लेकिन बदले में कुछ भी नहीं मिला। पार्टी के 100 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुके थे, मगर भाजपा को हराने के लिए गठबंधन स्वीकार कर लिया। हालांकि अखिलेश यादव ने केवल एक सीट ही दी है। शिवपाल के अनुसार अखिलेश से शुरू में 65 सीटें मांगी थीं, तो कहा गया कि ज्यादा हैं।
फिर हमने 45 सीटें मांगी। आखिर में 35 सीटों का प्रस्ताव दिया, मगर आपको तो पता ही है कि मिली सिर्फ एक। उन्होंने दावा किया है कि अगर समीक्षा होती तो हमारे 20 पर प्रसपा प्रत्याशी की जीत सकती थी।
शिवपाल यादव ने आगे कहा कि अब इन सारी सीटों की कसर इस सीट पर जीत का रिकार्ड बनाकर पूरी करनी है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि कम से कम 50 सीट तो मिलनी ही चाहिए थीं।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
