जुबिली न्यूज डेस्क
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर गुरुवार को संसद भवन स्थित समन्वय हॉल में एनडीए नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में उपराष्ट्रपति पद के लिए आपसी समन्वय और सहयोगी दलों के बीच तालमेल मजबूत करने पर चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की।
इस अहम बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह, शिवसेना नेता श्रीकांत शिंदे, केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी, टीडीपी नेता और मंत्री राम मोहन नायडू, अनुप्रिया पटेल, रामदास आठवले और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता शामिल रहे।
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि एनडीए की फ्लोर लीडर्स मीटिंग में यह प्रस्ताव पारित हुआ कि उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार तय करने और आगे की प्रक्रिया को अंजाम देने का अधिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिया जाए।
चुनाव आयोग ने जारी की अधिसूचना
इसी दिन भारत निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी है। आयोग ने राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के अंतर्गत चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि चुनाव की अधिसूचना 7 अगस्त को ‘भारत के राजपत्र’ में प्रकाशित हो चुकी है और इसे सभी राज्यों के राजपत्रों में उनकी आधिकारिक भाषाओं में भी प्रकाशित किया जाएगा।
आयोग ने नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त तय की है। नामांकन पत्र संसद भवन के कमरे नंबर RS-28 में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक, किसी भी कार्यदिवस में भरे जा सकेंगे। नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ उम्मीदवार को 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी होगी, जो कि नकद या भारतीय रिज़र्व बैंक/सरकारी खजाने में जमा की गई रसीद के रूप में प्रस्तुत करनी होगी।
नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को संसद भवन के कमरा नंबर F-100 में सुबह 11 बजे से की जाएगी। अगर आवश्यक हुआ, तो मतदान 9 सितंबर 2025 को संसद भवन के कमरा नंबर F-101 (वसुधा) में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच कराया जाएगा।
उपराष्ट्रपति का संवैधानिक महत्व
भारत के उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है, जो राज्यसभा के सभापति की भूमिका निभाता है और संसद के उच्च सदन के संचालन में अहम भूमिका अदा करता है। यह चुनाव राजनीतिक समीकरणों और गठबंधनों की स्थिति को भी दर्शाता है।
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अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी और जेपी नड्डा किस उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगाते हैं और विपक्ष की ओर से क्या रणनीति अपनाई जाती है।