जुबिली न्यूज डेस्क
भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। जबकि चीन पर इसी मामले में नरमी दिखाई गई है। इस पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सफाई देते हुए कहा कि चीन पर कड़े टैरिफ लगाने से वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बढ़ जाएगी।
चीन को क्यों मिली ढील?
रुबियो ने रविवार (17 अगस्त) को ‘फॉक्स न्यूज’ से बातचीत में कहा,“चीन, रूस से जो तेल खरीदता है, उसका अधिकांश हिस्सा रिफाइन करने के बाद वर्ल्ड मार्केट में बेचता है। अगर चीन पर सेकेंडरी टैरिफ लगाया गया, तो वैश्विक कीमतें आसमान छू सकती हैं।”
उनके मुताबिक, अगर चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया तो यूरोपीय देशों को भी समस्या होगी। उन्होंने बताया कि सीनेट में चीन पर 100% टैरिफ लगाने के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी, लेकिन यूरोपीय देशों ने इस पर नाखुशी जताई।
भारत पर सख्ती क्यों?
भारत ने रूस से तेल खरीदने के फैसले पर अपना रुख नहीं बदला। इसके चलते ट्रंप ने पहले 25% टैरिफ लगाया था, जिसे अब बढ़ाकर 50% कर दिया गया है। ट्रंप ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर भारत ने आयात नीति नहीं बदली, तो अमेरिकी प्रतिक्रिया सख्त होगी।
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अगर चीन पर टैरिफ लगा तो क्या होगा?
रुबियो के मुताबिक, अगर चीन पर सेकेंडरी टैरिफ लगाया गया तो वह तेल रिफाइन करके बेचने में दिक्कत झेलेगा। इसका असर वर्ल्ड मार्केट पर पड़ेगा और खरीदारों को ज्यादा दाम चुकाने होंगे। ऐसे में यूरोपीय देश और बाकी बाजार अस्थिर हो जाएंगे।