देशभर में पिछले साल 2022 में हत्या के मामलों में 28,522 एफआईआर दर्ज की गईं. इसका मतलब, हर रोज 78 मामले या प्रति घंटे 3 से अधिक मामले दर्ज किए गए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.

एनसीआरबी ने बताया कि 2021 में 29,272 और 2020 में 29,193 मामले दर्ज किए गए थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाले एनसीआरबी की वार्षिक अपराध रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में हत्या का सबसे बड़ा कारण ‘विवाद’ था. देश में 9,962 मामलों में हत्या का कारण ‘विवाद’ रहा. इसके बाद 3,761 मामलों में ‘निजी प्रतिशोध या दुश्मनी’ और 1,884 मामलों में ‘लाभ’ के लिए हत्या की गई.
एनसीआरबी के अनुसार, देश में प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या की दर 2.1 थी जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 81.5 थी.
यूपी में दर्ज किए गए हत्या के सबसे अधिक मामले
साल 2022 में हत्या के मामलों में सबसे अधिक प्राथमिकी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गईं. उत्तर प्रदेश में इन मामलों में 3,491 प्राथमिकी दर्ज की गई. इसके बाद बिहार (2,930), महाराष्ट्र (2,295), मध्य प्रदेश (1,978) और राजस्थान (1,834) में प्राथमिकी दर्ज की गईं. देशभर में हत्या के कुल मामलों में से इन शीर्ष 5 राज्यों में 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए.
जिन राज्यों में हत्या के सबसे कम मामले आए
एनसीआरबी के अनुसार, जिन राज्यों में हत्या के मामलों की सबसे कम प्राथमिकी दर्ज की गईं उनमें सिक्किम (9), नगालैंड (21), मिजोरम (31), गोवा (44), और मणिपुर (47) शामिल हैं.
2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज
केंद्र शासित प्रदेशों में आपराधिक मामलों की बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद जम्मू-कश्मीर (99), पुडुचेरी (30), चंडीगढ़ (18), दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव (16), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (7), लद्दाख (7) और लक्षद्वीप (शून्य) में मामले दर्ज किए गए.
झारखंड में हत्या की दर सबसे अधिक रिकॉर्ड
पूरे भारत में 2022 में हत्या की दर पर नजर डाली जाए तो झारखंड (4%) में सबसे अधिक थी. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (3.6%), छत्तीसगढ़ और हरियाणा (दोनों 3.4%), असम (3%) और ओडिशा (3%) में हत्या की दर सबसे अधिक रही. प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश (1.5), बिहार (2.3), महाराष्ट्र (1.8), मध्य प्रदेश (2.3) और राजस्थान (2.3) का प्रदर्शन बेहतर रहा. एनसीआरबी के अनुसार, हत्या संबंधी मामलों के पीड़ितों में 8,125 महिलाएं और 9 थर्ड जेंडर व्यक्ति थे जबकि लगभग 70 प्रतिशत पीड़ित पुरुष थे.
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