- यूपी में SIR प्रक्रिया के तहत 2.89 करोड़ नाम कटे
- 31 दिसंबर को जारी होगा फाइनल ड्राफ्ट
जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान अब तक 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं।
बीते 14 दिनों में केवल करीब 2 लाख नए नाम जोड़े गए हैं। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि SIR प्रक्रिया की समय-सीमा में अब कोई और विस्तार नहीं किया जाएगा और 31 दिसंबर को मतदाता सूची का फाइनल ड्राफ्ट जारी किया जाएगा।
आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा नाम लखनऊ और गाजियाबाद जिलों में कटे हैं। कुल कटे नामों में से करीब 30 फीसदी केवल इन्हीं दो जिलों से हैं।
उत्तर प्रदेश में एन्यूमरेशन की अवधि पहले 11 दिसंबर 2025 तक तय थी और ड्राफ्ट मतदाता सूची 16 दिसंबर को जारी होनी थी, लेकिन बाद में इस अवधि को बढ़ाकर 26 दिसंबर 2025 कर दिया गया।
चुनाव आयोग ने देश के छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR प्रक्रिया को 14 दिनों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया था, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल था।
SIR को लेकर सियासत तेज
SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के चलते हाशिए पर पड़े समुदायों को उनके मताधिकार से वंचित किया जा रहा है। वहीं सत्तापक्ष का कहना है कि मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में SIR की प्रक्रिया 1 नवंबर 2025 से शुरू हुई थी। देश के अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण पिछली बार वर्ष 2002 से 2004 के बीच किया गया था। चुनाव आयोग के अनुसार SIR का प्राथमिक उद्देश्य मतदाताओं के जन्मस्थान की पुष्टि कर अवैध विदेशी प्रवासियों की पहचान करना और उन्हें मतदाता सूची से बाहर करना है।
1 नवंबर 2025 से शुरू हुई थी SIR प्रक्रिया
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में 1 नवंबर 2025 से लागू की गई थी। देश के अधिकांश राज्यों में इससे पहले मतदाता सूची का ऐसा व्यापक पुनरीक्षण वर्ष 2002 से 2004 के बीच किया गया था। चुनाव आयोग के अनुसार SIR का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं के जन्मस्थान की पुष्टि करना और मतदाता सूची से अवैध विदेशी प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर करना है।
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