Wednesday - 10 January 2024 - 3:42 AM

कानपुर में हुई घटना के बाद क्यों चर्चा में है ‘अंब्रेला योजना’ ?

  • करोड़ों खर्च, मगर राज्यों की पुलिस नहीं बन पाई हाईटेक
  • हेलीकॉप्टर और सैटेलाइट से लैस करना था
  • आधुनिक हथियार और अच्छे वाहनों की खरीद होनी थी

जुबली न्यूज़ डेस्क

उत्तर प्रदेश के कानपुर में हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने गई पुलिस की टीम पर हमले की घटना में डिप्टी एसपी सहित दस पुलिस कर्मियों के शहीद होने के बाद सरकार और सिस्टम पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी बीच “अंब्रेला योजना” काफी चर्चा में है.

बता दें कि पुलिस की क्षमता और दक्षता बढ़ाने के लिए 3 वर्ष पूर्व “अंब्रेला योजना” बनी थी। इसके माध्यम से पुलिस को हेलीकॉप्टर, सैटेलाइट, अत्याधुनिक हथियारों व अच्छे वाहनों से लैस कर “हाईटेक” बनाना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को ढाई हजार साठ करोड़ रुपए देकर मंजूर किया था।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं कि, कानपुर में जितनी आसानी से बदमाशों ने पुलिस पर हमला बोलकर उनका संहार कर फरार हो गए। उसे देखकर नहीं लगता कि अंब्रेला योजना के तहत पुलिस में कोई खास आधुनिक बदलाव हुआ है। पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए समय-समय पर पहले भी मांग उठती रही है। 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों की पुलिस में ठोस सुधार करने के लिए 6 सूत्रीय कार्यक्रम दिया था और सभी राज्यों में राज्य सुरक्षा आयोग बनाने के निर्देश दिए थे। यह आदेश भी ठंडे बस्ते में है।

ब्यूरो आफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट भी राज्यों की पुलिस बल की लाचारी पर टिप्पणी कर चुका है। जिसके तहत पुलिस बल में 30 फीसद की कमी बताई गई थी। इस समय पुलिस बल में 86 फीसद सिपाही 15 फीसद सबोर्डिनेट स्टॉफ एवं 1 फीसद अधिकारी हैं। फिलहाल इनमें 24 फीसद पद रिक्त पड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट माने तो एक लाख की आबादी पर पुलिस बल की संख्या 222 होनी चाहिए मगर हमारे यहां एक लाख की आबादी पर 137 की संख्या है।

यह भी पढ़ें : कोरोना काल में बदलते रिश्ते

पुलिस बल की संख्या घट रही है और अपराध बढ़ रहे हैं। विकास दुबे पर यह भी आरोप था कि उसने राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त चौबेपुर के भाजपा नेता संतोष शुक्ला की थाने के अंदर घुसकर हत्या कर दी थी। मगर अदालत से वह बरी हो गया था। यह एक उदाहरण समूची पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है। इसकी वजह से 47 फीसद मामलों में ही आरोप साबित हो पाता है। विधि आयोग भी पुलिस जांच पर उंगली उठा चुका है।

क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में सुधार, पुलिस को हेलीकॉप्टर मुहैया कराने, राज्य पुलिस को सेटेलाइट प्रोजेक्ट से जोड़ने, वर्तमान वायरलैस व्यवस्था को अपग्रेड करने, तेज मारक क्षमता वाले अत्याधुनिक हथियारों को खरीदने व आधुनिक वाहनों को शामिल करने के लिए ही तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिस का आधुनिकीकरण करने की व्यापक योजना तैयार की थी। यह भी एक संयोग है कि श्री सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं।

पुलिस को विकसित देशों के मुकाबले हाईटेक बनाने के लिए इसे ‘अंब्रेला योजना’ का नाम दिया गया था। जिसके तहत 2017 से 2020 तक अर्ध सैनिक बल एवं राज्य पुलिस बल को हर तरीके से हाईटेक बनाना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना के लिए 25,060 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। जिसमें 18,636 करोड़ केंद्रीय पुलिस बल एवं 6,424 करोड़ रुपए राज्यों की पुलिस को आवंटित किया गया था। मगर अभी तक इस योजना के तहत जम्मू कश्मीर एवं पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा अन्य राज्यों में ज्यादा काम नहीं हुआ है।

इसमें सबसे प्रमुख है पुलिस को हेलीकॉप्टर, अच्छे हथियार और नेशनल सेटेलाइट जैसी सुविधाएं न मिलना। कानपुर की घटना में एक जेसीबी ने पुलिस के वाहनों को रोक लिया। यदि बदमाशों को पता होता कि पुलिस के पास हेलीकॉप्टर जैसी भी सुविधा है तो शायद उनका हौसला इतना न बढ़ पाता।

कुल मिलाकर कानपुर की घटना ने पूरे पुलिस महकमे को झकझोर दिया है और एक बहुत बड़ी चुनौती समूचे तंत्र को भी दे दी है।

यह भी पढ़ें : यूपी ने दिया चीन को एक और झटका

यह भी पढ़ें : बीजेपी नेता ने पुलिसकर्मियों से की बदसलूकी, विपक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com