जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है लेकिन इस दौरान उसने ये भी साफ कर दिया है कि वो बीजेपी का समर्थन नहीं कर रही है बल्कि आदिवासी नेता का समर्थन कर रही है।
हालांकि शिवसेना के इस कदम से अब कई तरह के अटकले लगनी शुरू हो गई है। जानाकरी मिल रही है कि शिवसेना की जब सोमवार को बैठक हुई तब पार्टी के 18 में से 12 सांसद पहुंचे और उद्धव ठाकरे से मुर्मू के समर्थन करने को कहा था।

इसके बाद शिवसेना ने तय किया था कि वो विपक्ष के उम्मीदवार नहीं बल्कि एनडीए के प्रेसिडेंट उम्मीदवार मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है। उधर शिवसेना के इस कदम को लेकर देश के मशहूर अंग्रेजी अखबार ने कुछ और हवाला दिया है।
अखबार की माने तो मुर्मू के समर्थन के फैसले के पीछे ठाकरे का एक बड़ा संदेश छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध चाह रहे हैं और केंद्र के साथ भी बिगड़े रिश्तों को सुधारना चाहते हैं। इस फैसले के जरिए ठाकरे अप्रत्यक्ष तौर पर यह दिखाना चाहते हैं कि शिवसेना और भाजपा के रिश्ते खत्म नहीं हुए हैं।
शिवसेना के इस कदम पर बीजेपी ने खुलकर उनकी तारीफ की है और कहा है कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी ठाकरे के साथ अपने संबंध खत्म नहीं करना चाहता।
दूसरी ओर खबर बाहर आने के बाद शिवसेना ने अपने फैसले का बचाव किया है। शिवसेना की माने तो जब पहली बार एक आदिवासी महिला को प्रोजेक्ट किया जा रहा है, तो कोई क्यों आपत्ति उठाएगा? फैसले का विरोध करने की कोई भी कोशिश महाराष्ट्र के आदिवासियों के बीच सही नहीं होगी। हालांकि शिवसेना मानती है उसके पास सीमित विकल्प ही बचे थे।
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