Wednesday - 10 January 2024 - 6:11 AM

उद्धव सरकार का गिरा पहला विकेट, विपक्षी ले रहे हैं चुटकी

न्यूज डेस्क

जब नेता जनता से वोट मांगने जाते हैं तो वह एक ही बात कहते हैं कि जनता की सेवा करने के लिए वह राजनीति में आए हैं। लेकिन जब वह सत्ता में काबिज हो जातेहै तो उनके विचार बदल जाते हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में भी ऐसा ही कुछ दिख रहा है। एक महीने की जद्दोजहद के बाद किसी तरह सरकार बनी और अब एक माह बाद मलाईदार मंत्रालय को लेकर रार दिख रही है।

महाराष्ट्र  में मलाईदार पद को लेकर रार छिड़ा हुआ है। पांच दिन पहले उद्धव सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था। उसी दिन से नाराजगी का दौर शुरु हुआ जो अब तक जारी है। पांच दिन पहले राज्यमंत्री बनाए गए शिवसेना नेता अब्दुल सत्तार ने शनिवार को इस्तीफा सौंप दिया। ऐसी चर्चा है कि सत्तार राज्यमंत्री पद से खुश नहीं थे।

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वहीं अब्दुल सत्तार के इस्तीफे के बाद जहां विपक्षी दल चुटकी लेने लगे हैं तो वहीं शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सत्तार को सरकार में पूरा सम्मान मिला है। उन्हें उनकी नाराजगी की वजह का पता नहीं है।

सत्तार के इस्तीफे पर पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सत्तार के साथ धोखा हुआ है। वह औरंगाबाद से शिवसेना के विधायक हैं। शिवसेना में शामिल होने से पहले वह कांग्रेस पार्टी में थे।

अब्दुल सत्तार की नाराजगी की एक दूसरी बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि सोशल मीडिया पर वायरल लेख है। यह लेख 25 साल पहले 11 जून 1994 को शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित हुआ था। इसमें लिखा गया है कि वह अंडरवर्ल्ड डान  दाऊद इब्राहिम के करीबी हैं। इस लेख का शीर्षक था- ‘शेख सत्तार के दाऊद गिरोह से करीबी संबंध’।

फिलहाल अब्दुल सत्तार के इस्तीफा दिए जाने से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुसीबत बढ़ गई है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सीएम ठाकरे ने शिवसेना के एक नेता को अब्दुल सत्तार को मनाने के लिए भेजा है।

क्या है नाराजगी की वजह

सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शिवसेना के वरिष्ठ नेता अब्दुल सत्तार को पहले कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की बात कही गई थी, लेकिन जब शपथ ग्रहण शुरू हुआ तो उन्हें राज्यमंत्री के लिए बुलाया गया। अपने लंबे राजनीतिक अनुभव और कॅरियर को देखते हुए सत्तार असहज महसूस करने लगे। वहीं इस बीच शिवसेना ने उनके विधान सभा क्षेत्र औरंगाबाद में जिला परिषद का अध्यक्ष पद कांग्रेस को देने का फैसला किया। इसस सत्तार की नाराजगी और बढ़ गई और जिसका परिणाम शनिवार को उनके इस्तीफे के रूप में दिखा।

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